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Friday 29 May 2020

पत्रकारिता में रोजगार की संभावनाएं

तीर निकालो न तलवार निकालो
जब तोप मुकाबिल हो, अखबार निकालो

मीडिया की महत्ता किसी से छिपी हुई नहीं है इसीलिए पत्रकारिता यानि प्रेस को लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है. वस्तुतः प्रेस ही है जो लोकतन्त्र में विधायिका के निर्णयों और कार्यपालिका के कामकाज की समालोचनात्मक समीक्षा करती है और जनता तथा सरकार के मध्य एक प्रभावी संवाद व्यवस्था कायम करती है. भारतीय संविधान में भी प्रेस के महत्व को देखते हुए वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता को मौलिक अधिकारों में शामिल किया गया है. इण्डियन न्यूज पेपर्स बनाम यूनियन ऑफ इण्डिया के महत्वपूर्ण वाद में उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित कर दिया है कि यह मौलिक अधिकार प्रेस को भी वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का अधिकार देता है. 

सूचना तकनीकी क्षेत्र में आए क्रांतिकारी परिवर्तनों के चलते पत्रकारिता में भी महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं. एक समय था जब भारत में ट्रेडल मशीनों पर अक्षरों को जोड़-जोड़ कर समाचारपत्र तैयार होता था जो उस समय पत्रकारिता में सूचना सम्प्रेषण का एकमात्र साधन था. उसके बाद रेडियो का जमाना आया जिसमें पत्रकारिता के लिए समाचारों के संकलन, सम्पादन और प्रेषण के नये रास्ते खुले. टेलिविजन प्रसारण आरम्भ होने के बाद तो पत्रकारिता क्षेत्र में रोजगार की इतनी अधिक संभावनाएं बढ़ी हैं कि आज प्रेस  भौगोलिक सीमाओं को लांघती हुई समाचार के घटना स्थल पर तुरन्त पहुंच कर उसे जनता के सामने प्रस्तुत कर देती है. आम आदमी भी समाचारपत्रों और टेलिविजन पर इतना आश्रित हो गया है कि बिना पत्रकारिता और प्रेस के आज सामाजिक जीवन की कल्पना करना ही कठिन है.

पत्रकारिता में उपलब्ध रोजगार के विकल्पों को मुख्य तौर पर दो भागों में बांटा जा सकता है-
1. प्रिन्ट मीडिया
2. इलेक्ट्रोनिक मीडिया

प्रिन्ट मीडिया के क्षेत्र में समाचारों के संकलन के हेतु संवाददाता, पत्रकार, सम्पादन हेतु सम्पादकीय टीम, फोटोग्राफी के लिए प्रेस फोटोग्राफर्स, समाचार लेखन और उन्हे व्यवस्थित करने के लिए टाइपिस्ट और कम्प्यूटर आपरेटर्स, विषेश साज-सज्जा के लिए अन्य तकनीकी सहायक और अन्ततः छपाई के लिए मशीनमैन के रोजगार की अपार संभावनाएं मौजूद हैं. इलेक्ट्रोनिक मीडिया में उपरोक्त के अलावा न्यूज रीडर्स, न्यूज सैटर्स, एंकर्स और प्रसारण हेतु विशेषज्ञों की एक पूरी टीम शामिल रहती है. ये सभी लोग अपने-अपने क्षेत्र के विषेशज्ञ होते हैं जिनका टीम वर्क ही पत्रकारिता को सफल बनाता है. इन विषेशज्ञों की आमदनी की बात करें तो आश्चर्य होता है कि पत्रकारिता के क्षेत्र में देश और विदेशों में आईआईटी और आईआईएम के विद्यार्थियों के समान वेतन सुविधाएं दी जा रही हैं. यदि आप सामयिक विषयों को समझने और विष्लेषण करने की योग्यता रखते हैं तथा पत्रकारिता के क्षेत्र में भविष्य जाने के लिए कृतसंकल्प हैं तो अवश्य ही आप बेहतर पद और प्रतिष्ठा प्राप्त कर सकते हैं. 

भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पत्रकारिता एवं जनसम्पर्क संकाय संचालित किये जा रहे हैं. जर्नलिज्म एण्ड माॅस कम्यूनिकेशन के नाम से पढाए जाने वाले इस संकाय में पत्रकारिता से सम्बन्धित विषयों का अध्ययन अध्यापन किया जाता है. वैसे तो पत्रकारिता के पेशे में कार्य करने के लिए किसी प्रकार की शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता नहीं है लेकिन प्रतिष्ठित समाचारपत्रों और इलेक्ट्रोनिक चैनलों में अभ्यर्थी से उम्मीद की जाती है कि वह कम से कम सम्बन्धित विषय में स्नातक तक शिक्षित तो अवश्य हो. एक पत्रकार का उस भाषा पर भी विशेषाधिकार होना चाहिए जिसमें वह पत्रकारिता कर रहा है. सूचनाओं के सम्प्रेषण जैसे गम्भीर विषय का प्रस्तुतिकरण प्रयुक्त भाषा के माध्यम से ही प्रभावी बन पाता है. इसके अलावा यदि पत्रकार के पास समाचारों को पकड़ने की पैनी नजर और विश्लेषण करने की क्षमता है तो वह अपनी लेखनी के जरिये स्वयं का अपना अलग मुकाम बना सकता है.

किसी विषय विशेष पर यदि आपकी पकड़ है तो आप पत्रकारिता के जरिये उस विषय के आलेखकार के रूप में स्वयं को स्थापित कर पैसा और प्रतिष्ठा दोनों कमा सकते हैं. समाचार पत्र-पत्रिकाओं में कुछ निश्चित विषयों पर स्थायी आलेख प्रकाशित होते हैं जिन्हे बड़े चाव से पढ़ा जाता है. इन विषयों के आलेखकारों को लेख लिखने के लिए प्रकाशकों द्वारा अच्छा खासा भुगतान किया जाता है क्योंकि यही आलेख समाचार पत्रों की बिक्री बढाने का माध्यम बनते हैं.

प्रिन्ट मीडिया में समाचारों को टाइप करने के बाद प्रकाशन करने हेतु एक विषेश साॅफ्टवेयर के जरिये सैट किया जाता है. अधिकांश समाचारपत्रों में इन दिनों क्वार्क नाम का साफ्टवेयर काम में लिया जा रहा है जिसके विशेषज्ञों की पत्रकारिता जगत में भारी मांग है. इन विशेषज्ञों के लिए रोजगार की संभावनाएं बढती ही जा रही है क्यांेकि पत्रकारिता के बदलते स्वरूप में इंटरनेट पर समाचारों की नित नई वेबसाइटस आरम्भ हो रही हैं. इस मकड़जाल में पत्रकारिता से सम्बन्धित विभिन्न साफ्टवेयर्स के जानकार विशेषज्ञों की महती भूमिका है. इंटरनेट पर समाचारों के त्वरित और प्रभावी सम्पे्रषण को यही विेशेषज्ञ संभव बनाते हैं. वस्तुतः पत्रकारिता में समाचार लिखे जाने से लेकर उसके सम्पे्रषण तक का पूरा काम एक टीम का होता है जिसमें प्रत्येक सदस्य की अपनी भूमिका होती है.

पत्रकारिता में विषय विषेशज्ञों की मांग बढने से पत्रकारों का क्षेत्राधिकार भी लगभग बंट सा गया है. आज पत्रकारों में विषयवार रोजगार की संभावनाएं बढी हैं. राजनैतिक और अपराध जगत के विेशेषज्ञ पत्रकारों की मांग हमेशा बनी रहती है तो वहीं आर्थिक, मनोरंजन, खेलकूद, फिल्मी दुनिया से जुडे़ विेशेषज्ञ पत्रकारों के लिए भी बेहतर रोजगार की संभावनाएं बढी हैं. व्यावसायिक जगत में तो पत्रकारिता का एक अलग क्षेत्र पीआरओ, यानि जनसम्पर्क विभाग के रूप में देखने को मिल रहा है. यह जन सम्पर्क अधिकारी वास्तव में अपने नियोक्ता के लिए पत्रकारिता का ही कार्य करता है.  

पत्रकारिता के क्षेत्र में व्यावसायिक संभावनाओं को देखते हुए दुनिया भर के स्थापित उद्यमियों और राजनैतिक दलों द्वारा स्वयं के समाचारपत्र और इलेक्ट्रोनिक चैनल शुरू किये जा रहे हैं. इन उपक्रमों में पत्रकारिता से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की मांग बढती जा रही है. आज घड़ी यदि कोई युवा पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहता है तो उसके लिए अपार संभावनाएं मौजूद हैं.
  



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