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Sunday, 5 May 2024

अनूठी कहाणियां रौ संग्रै — ‘पांख्यां लिख्या ओळमां’

 

(समीक्षा-प्रेमलता सोनी)

"हथाई रै गोळी कुण ठोकी ?"

"चैटिंग !"

"ओ हो, वा अठै कद पूगी ?"...

‘गरागाप’ कहाणी सूं ही लेखक आपरो मकसद पाठकां रै सांम्‍ही राख दियो। सबदां रा इसा बाण चलाया है कहाणीकार, कै सीधा जाय'र पाठकां रै दिमाग में धंस जावै। आ कहाणी पढ्या पाछै हिवड़ो याद करण लाग जासी कै कद भायलां-भायली सागै हथाई होयी। सगळी खोज-खबर बातां-चीतां तो फेसबुक अर व्हाट्सएप ग्रुप में ही होयी। लेखक परभातियै सुपनै सूं सगळां नै चेतावै "सबदां री बैकुंठी त्यार है !‘’ 

नौ कहाणियां रै इण झूमकै में सगळी कहाणियां मांय लेखक रै कैवण रो ढंग इस्यो सांतरो कै कहाणी कठैई सुस्त कोनी पड़ै। कहाणी रो अनूठो विषय अर सागै ही किरदार इसा लागै जाणै घणी जाण-पि‍छांण हुवै। कहाणी पढ़तां थकां लागै जाणै कहाणी रा किरदार आंख्यां सांम्‍ही आय'र खड़ा हो जावै अर हाथ पकड़ियां ठिरड़'र ले जावै आप नै कहाणी रै मांय !

"संकै री सींव" अेक छोटै सै गांव री कहाणी, जठै त्यारी चाल रही ही कंडोम फैक्ट्री री, इत्तौ घणो हुवै गांव में चरचा तांई। अेक कहाणी, पण अंत दो गांव रै बिगसाव सागै लुगाई जात रा बदळियोड़ा तेवर। 

'पांख्यां लिख्या ओळमां' कहाणी में लेखक दो जमानां नै अेक सागै राख'र अेक अनूठो प्रेम दरसावै। तीस-पैंतीस बरस पुराणों संदेस ऑडियो कैसट में रिकॉर्ड हुयोड़ो फेसबुक अर इंस्टाग्राम सूं होय'र धणी तंई पूग्‍यो। 

Premlata Soni
'प्रीत रो परचो' कहाणी री लिछमां जाणै खुद आपरी कहाणी सुणा रही हुवै। पेपरलीक रै मुद्दे सागै अेक सोहणी प्रेम कहाणी, इसो प्रयोग कोई सबदो रो सिरजणहार ही कर सकै। "निरभागण" इण संग्रै री सैं सूं मार्मिक कहाणी है, जिण में लेखक चेतावै के आज रै बखत में माईतां रै दियोड़े नांव सूं ज्यादा जरूरी है कागद-पांनां में दरज नांव। चुणावां रो बखत अर दिहाड़ी मजूरां पर लिख्योड़ी, व्यंग्य रा छींटा मारती कहाणी है "बात बैठी कोनी!" 

‘मा कूड़ बोलै!’ कहाणी सूं लेखक मां ने ओळमों देवै, आपरै बखत री बातां बतावती मां सगळां नै साव कूड़ बोलती दीसै। मां री बातां भेजै नै कठै जचै ? पाठक इण कहाणी सूं खुद नै जुड़तौ मैसूस करै ।

"कुमांणस" कहाणी अेक मिस्त्री रो दरद बतावै के किंयां चूनै-ईंट-भाठै रो काम करातां थकां धणी रो काळजो भाठै सरीखो होय जावै।

रोडवेज बस मांय उपराथळी सवारियां, थापा-मुक्की..झींटम-झींटा..गाळियां रा गुचळकां सागै हरेक बात री खाल उतारतो लेखक, जाणै कहाणी नीं कविता रौ करतब दिखावतो हुवै। लेखक सबदां रा जोरदार चबड़का मारतो बोलै, "जावण द्यो ,के पड़्यो है !" 

हरिमोहन सारस्‍वत 'रूंख' रो औ अेक न्‍यारी भांत रौ जबरो कहाणी संग्रै है, जिण री कहाणियां राजस्‍थानी पाठकां में तो कोतुहळ जगावै ई, हिन्‍दी अर दूजी भारतीय भासावां में ई राजस्‍थानी कहाणी री साख नै बधावै। आ बात पण लागै के जे 'पांख्यां लिख्या ओळमां', री अै कहाणियां हिन्‍दी अर दूजी केई भासावां में अनुवाद रै जरियै बडै पाठक वरग तांई पूगै तो निस्‍चै ई कहाणी रा पाठकां नै राजस्‍थानी कहाणी री मिठास अर अनूठैपण री आछी पिछांण हो सकै। 

-प्रेमलता सोनी 

( समीक्षक हिंदी और राजस्थानी की नवोदित उपन्यासकार और बेहतरी कथाकार हैं)


* पांख्‍यां लिख्‍या ओळमां (कहाणी संग्रह) – डाॅ हरिमोहन सारस्‍वत 

* सूर्य प्रकाशन मंदिर, बीकानेर संस्‍करण 2023, पृष्‍ठ --- 80

* मूल्‍य --- ₹250

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