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Friday 22 May 2020

अमरनाथ लंगर सेवा समिति और किशन की देगची



(सेवा प्रकल्प) 

महाभारत में कृष्ण भगवान की देगची का प्रसंग आता है जिससे वे अपनी सखी द्रौपदी की मदद करते हैं. वनवास के दौरान जब पांडवों की कुटिया पर भोजन के लिए महर्षि दुर्वासा अपने शिष्यों के साथ पहुंचते है तब द्रोपदी की रसोई में खाने के लिए कुछ नहीं होता. संकट की इस घड़ी में द्रोपदी को ईश्वर कृपा प्राप्त होती है. उसकी देगची में पके चावल समस्त ऋषियों के भोजनोपरांत भी समाप्त ही नहीं होते और द्रौपदी की रसोई की लाज बच जाती है.

कलयुग में भी एक ऐसी ही अनूठी देगची अमरनाथ लंगर सेवा समिति सूरतगढ़ के पास उपलब्ध है जिसके आशीर्वाद से उन्होंने कोरोना संकटकाल में लगातार 42 दिन शहर के सभी 45 वार्डों में जरूरतमंदों को तैयार भोजन उपलब्ध करवाया है. प्रतिदिन लगभग एक हजार भोजन पैकेट तैयार करना और उसमें सवा महीने तक निरंतरता बनाए रखना आसान काम नहीं है
लेकिन जब समिति अध्यक्ष के रूप में स्वयं किशन भगवान देगची साफ कर भोजन पकाने में जुटे हो तो रास्ते स्वत: ही सुगम हो जाते हैं. इस समिति के सभी सदस्य बधाई और धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने सेवाभाव से इस पुनीत कार्य को निरंतर बनाए रखा और भगवत्कृपा से शहर में किसी को भी भूखा नहीं रहने दिया. शहर की अन्य कई सामाजिक संस्थाओं ने भी इस तरह के प्रकल्प जारी रख मानवीय संवेदनाओं का परिचय दिया है

संस्था सचिव के ओम सोनी के अनुसार महादेव के आशीर्वाद से 5 अप्रैल को स्वामी धर्मशाला में इस भोजन वितरण प्रकल्प हेतु अस्थाई रसोई की स्थापना की गई. 'जय बाबा अमरनाथ बर्फानी, भूखे को अन्न प्यासे को पानी' के सेवाभावी विचार को ध्यान में रखकर समिति के सभी सदस्यों ने

कोरोना संकटकाल के दौरान शहर में किसी को भी भूखा न रहने देने का संकल्प लिया. अध्यक्ष किशन स्वामी के नेतृत्व में सबने समर्पित भाव से काम करना शुरू किया तो संकटकाल कैसे गुजर गया पता ही नहीं चला. विपत्ति के समय दो वक्त का भोजन अगर जरूरतमंदों को उपलब्ध करवाया जाए तो उससे बड़ी मानव सेवा नहीं हो सकती. समिति ने अपने प्रयासों से यह संभव कर दिखाया है. स्वामी धर्मशाला में चल रही इस अस्थाई रसोई में कुछ दिन पूर्व जाने काअवसर प्राप्त हुआ तो वहां की व्यवस्थाओं को देख अत्यंत प्रसन्नता हुई.

कोषाध्यक्ष प्रकाश सारस्वत बताते हैं कि जन सहयोग और समिति के पास उपलब्ध संसाधनों से यह व्यवस्था संभव हो पाई है. संस्था के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र चुघ, उपाध्यक्ष उदयराम बनिया, इंद्राज सुथार, शंकर सोलंकी, विष्णु टाक, विजय तिवारी, योगेश

 स्वामी, लालचंद गेदर, मनीष मूंदड़ा, रामकुमार घोड़ेला, लालचंद स्वामी, पवन तांवणिया, रामकुमार औझाइया, रामस्वरूप पेंटर, ओम ठेकेदार, मांगी छिंपा, सुशील मोट प्रेमप्रकाश राठौड़, विजय सिंधी, राजेंद्र सैनी, विनोद सारस्वत, धनराज स्वामी, पवन पारीक, विनोद औझाइया, भुवनेश्वर मुद्गल,  सोनू बिश्नोई, विकास सेन, राजेंद्र सैनी, बाबूलाल जांगिड़, हरिशंकर शर्मा, रवि गाबा,  हरीश कुकड़, पुरुषोत्तम सोनी, मोहन चौधरी, बलदेव तनेजा, चानन गोयल, बंसी औझाइया, राजू मोदी पूनम सोलंकी समेत बड़ी संख्या में महादेव के कार्यकर्ताओं ने इस पुण्य के काम में बढ़-चढ़कर सहयोग किया है.

अपने सेवाभावी कार्यों के चलते यह समिति आज शहर की बड़ी सामाजिक संस्थाओं में शुमार हो चुकी है. संस्था के समर्पित अध्यक्ष किशन स्वामी ने अपने दायित्व का भली भांति निर्वहन करते हुए अमरनाथ लंगर सेवा समिति की सेवाओं को आगे बढ़ाने का काम किया है. उम्मीद की जानी चाहिए कि भविष्य में भी महादेव के सेवक इसी प्रकार जरूरतमंदों की सेवा करते रहेंगे.

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