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Thursday 31 December 2020

नववर्ष की मंगलकामनाएं

 


नववर्ष 2021 'कॉटनसिटी लाइव' के सभी पाठकों के जीवन में अपार खुशियां लाए और आप सफलता के नये सोपान चढ़ें. देश और दुनिया में शांति-सद्भाव कायम रहे, इसी कामना के साथ आपको 'कॉटनसिटी लाइव' की तरफ से ढेरों शुभकामनाएं.


नव वर्ष में हम प्रयास करेंगे कि और बेहतर विश्लेषणात्मक समाचार, आलेख व रचनात्मक सामग्री आपके लिए प्रस्तुत करें. आपका सहयोग और मंगलकामनाएं बनाए रखिए.


डॉ. हरिमोहन सारस्वत 'रूंख'
अध्यक्ष, प्रेस क्लब, सूरतगढ़
www.cottoncitylive.com

Wednesday 23 December 2020

विधायक कासिनया के कार्यकाल पर जनमत सर्वेक्षण

 
कैसा है आपके विधायक का कार्यकाल, आज ही वोट करें.

इस पोस्ट के अंत में पोल बाॅक्स है, अपनी पसंद का विकल्प चुनें.

  पोल 31 दिसम्बर 2020 की मध्यरात्रि तक खुला है.

 

 विधायक रामप्रताप कासनिया-एक परिचय

 

सूरतगढ़ के विधायक रामप्रताप कासनिया अपने कार्यकाल के दो वर्ष पूरे कर चुके हैं. राजस्थान की भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके कासनिया कुशल राजनीतिज्ञ माने जाते है. ठेठ देहाती अंदाज और अपनी स्पष्टवादिता के चलते क्षेत्र की राजनीति में उनकी विशिष्ट पहचान है. पूर्व में वे पीलीबंगां विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे लेकिन 2008 में परिसीमन के बाद उन्होंने सूरतगढ़ का रूख किया. 2008 में उन्होंने भाजपा की टिकट पर सूरतगढ़ से भाग्य आजमाया लेकिन उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा.  2013 में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया. 2018 में वे न सिर्फ टिकट पाने में कामयाब हुए बल्कि भाजपा के विरूद्ध बने असंतोष के माहौल के बावजूद जीतने में कामयाब हुए. हालांकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और कासनिया को  विपक्ष में बैठना पड़ा लेकिन विधायक तो विधायक होता है.

 

ओपिनियन पोल यानी जनता की राय

 
एक विधायक के रूप में रामप्रताप कासनिया का वर्तमान कार्यकाल कैसा रहा है, इसे लेकर ‘काॅटनसिटीलाइव’ एक ओपिनियन पाॅल आयोजित कर रहा है. आॅनलाइन आयोजित हो रहे इस पोल में मतदाता को उनके कार्यकाल के लिए ‘बेहतर, औसत, खराब और बेहद खराब’ विकल्प दिये गए हैं जिनमें से एक को चुनकर वोट करना है.  इस सर्वेक्षण का परिणाम नववर्ष के दिन घोषित किया जाएगा.

 

कैसे भाग लें ?


इस सर्वेक्षण में कोई भी व्यक्ति भाग ले सकता है और वोट कर सकता है. ओपिनियन पोल में दर्शाए गए चार विकल्पों में से आप अपनी पसंद का विकल्प चुनकर उसे टिक करें और वोट का बटन दबाएं. वोट करने के बाद आपको एक ओटेा जेनेरेटेड मैसेज दिखाई देगा जिसका अर्थ है आपका वोट हो गया है. 31 दिसम्बर 2020 की मध्यरात्रि तक  खुले इस सर्वेक्षण में एक व्यक्ति एक ही बार वोट कर सकता है. एक से अधिक बार वोट करने के प्रयास पर आपका वोट निरस्त हो जाएगा और काउंटिग में शामिल नहीं होगा.
 

इस पोल बाॅक्स पर अपना वोट करें.

 

सूरतगढ़ के विधायक रामप्रताप कासनिया का दो वर्ष का कार्यकाल कैसा रहा है ?
बेहतर
औसत
खराब
बेहद खराब
Disclaimer
यह सर्वेक्षण मीडिया की जागरूकता और पारदर्शिता के सिद्धांतों पर आधारित है जिसमें किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया गया है. ‘काॅटनसिटी लाइव’ की सर्वेक्षण नीति किसी की व्यक्ति की सामाजिक, राजनीतिक और मानसिक क्षति कारित करने अथवा गरिमा घटाने जैसे कुत्सित प्रयासों का हमेशा विरोध करती है. जनता में लोकतां़ित्रक जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से यह सर्वेक्षण किया जा रहा है जो पूरी तरह से सूचना तकनीक पर आधारित है जिसमें किसी प्रकार की कांट-छांट नहीं की गई है. जनमत में प्राप्त परिणामों के सम्बन्ध में ‘काॅटनसिटी लाइव’ का कोई दायित्व नहीं है. इस सर्वेक्षण के नियमों-कायदों में परिवर्तन करने का विशेषाधिकार ‘काॅटनसिटी लाइव’ के पास सुरक्षित है. 
 
 
 

Sunday 20 December 2020

सिटी हंड्रेड ने हाट बाजार में किया श्रमदान

 


- शराबियों का अड्डे बने हाट बाजार में चला स्वच्छता अभियान

- वार्ड विकास कमेटी के प्रयासों से उत्साहित हैं वार्डवासी


- सिटी हंड्रेड आयोजित करेगी देशभक्ति गीतों का कार्यक्रम


सिटी हंड्रेड वार्ड विकास समिति ने रविवार को वार्ड 42 में स्थित हाट बाजार में श्रमदान किया. संगठन के सदस्यों द्वारा हाट बाजार में उगी हुई कंटीली झाड़ियों को काटा गया, टूटी हुई दीवारों को ठीक किया गया और परिसर में एकत्रित कचरे, शराब की खाली बोतलें व कूड़े करकट को हटाया गया. सिटी हंड्रेड के जागरूकता अभियान के इस काम में वार्डवासियों का भी भरपूर सहयोग रहा. 

वार्ड के बीच में स्थित यह हाट बाजार बरसों पहले केंद्र सरकार की विकास योजना के अंतर्गत बनाया गया था जो किसी काम न आ सका. देखरेख के अभाव में यह परिसर पूरी तरह उपेक्षित पड़ा था. यहां से मिले ढेरों शराब के पव्वे इस बात की गवाही देते हैं कि यह परिसर शराबियों और असामाजिक तत्वों का अड्डा बना हुआ था. टीम सिटी हंड्रेड द्वारा 'हमारा वार्ड, हमारे मुद्दे' के तहत इस परिसर में स्वच्छता अभियान चलाए जाने से वार्ड के लोग उत्साहित हैं. सिटी हंड्रेड वार्ड विकास समिति की आगामी योजना के तहत इस परिसर में पौधारोपण किया जाएगा और इसे एक सार्वजनिक पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा.

स्वच्छता अभियान के बाद हॉट बाजार में ही सिटी हंड्रेड की बैठक संपन्न हुई. बैठक में नए सदस्यों का परिचय करवाया गया और आगामी रविवार की बैठक वार्ड 42 के दूसरे हिस्से सैनी मोहल्ले में करना तय किया गया. गणतंत्र दिवस पर हाट बाजार में देशभक्ति गीतों का कार्यक्रम आयोजित कराने का प्रस्ताव भी पारित किया गया. 

गौरतलब है कि 'सिटी-100' संगठन द्वारा शहर के स्थाई विकास और प्रशासनिक सुधार के दृष्टिगत आमजन को जागरूक करने की मुहिम चलाई गई है. प्रत्येक व्यक्ति, जो सूरतगढ़ शहर में स्थायी विकास और प्रशासनिक व राजनीतिक व्यवस्था में सुधार चाहता है, वह बिना किसी जाति धर्म लिंग अथवा आर्थिक भेदभाव के संगठन से जुड़ सकता है. यह संगठन सभी राजनीतिक विचारधाराओं से ऊपर उठकर सिर्फ शहरी विकास के उद्देश्य से गठित किया गया है.




Friday 18 December 2020

कलह और कोरोना के बीच कांग्रेस सरकार के 2 साल पूरे

 

- उतरने लगा है गहलोत का जादू

 

- बिजली बिलों का बोझ और बेरोजगारी की मार

 

- प्रदेश की राजनीति में नई करवट के आसार


प्रदेश में कांग्रेस सरकार को दो साल पूरे हो चुके हैं. इस अवसर पर 18 दिसंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दर्जनभर परियोजनाओं का शिलान्यास/लोकार्पण करते हुए अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनवाई हैं. एक ऐसे वक्त में, जब प्रदेश की राजनीति करवट बदलने के आसार दिखा रही हो तब यथार्थ के धरातल पर आंतरिक कलह और कोरोना के बीच कांग्रेस सरकार के कार्यकाल की पड़ताल करना जरूरी है.

नहीं हो सका अनुभव और युवा जोश का संगम


2018 में जब मोदी लहर चरम पर थी, उस वक्त राजस्थान की राजनीति में प्रदेश भाजपा की आंतरिक गुटबाजी के चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ जनाक्रोश का अच्छा खासा वातावरण तैयार हो गया था. इसी का परिणाम था कि दिसंबर 2018 में सम्पन्न हुए 15वीं विधानसभा के मुद्दाविहीन चुनावों में कांग्रेस ने सामान्य बहुमत से बाजी मार ली. पार्टी प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट और अशोक गहलोत के नेतृत्व में पांच साल बाद फिर कांग्रेस की सरकार बनी जिसमें युवा नेता पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया गया.

उम्मीद की जा रही थी कि गहलोत के अनुभव और पायलट के युवा जोश का यह संगम प्रदेश के विकास में नए आयाम स्थापित करेगा लेकिन नतीजे ठीक इसके उलट हुए. सत्ता में स्थापित होने के बावजूद मई 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई. इन चुनावों में गहलोत ने पुत्र मोह में फंस कर वैभव को जोधपुर से टिकट दिलाई जहां हुई हार से उनकी और पार्टी दोनों की फजीहत हुई. गहलोत यहीं नहीं रुके बल्कि पुत्र को राजनीति में स्थापित करने के लिए उसे आरसीए का अध्यक्ष भी बना दिया गया. इसका खामियाजा गाहे-बगाहे उन्हें भुगतना ही होगा.

उपलब्धियों की बात करें तो बीते दो वर्ष सरकार के लिए उथल-पुथल भरे रहे हैं. कोरोना संकट और आंतरिक कलह से जूझ रही गहलोत सरकार लगभग दो महीनों तक तो खुद को बचाने की जुगत में लगी रही. पायलट की बगावत के चलते मुख्यमंत्री अपने गुट के विधायकों की बाड़ाबंदी किए पांचसितारा होटलों में बैठे रहे. आरोप-प्रत्यारोप के बीच फंसी खुद सरकार का भविष्य अधर झूल में हो गया तो जनता की सुध लेता ही कौन ! जैसे तैसे इस सियासी ड्रामे का अंत हुआ और एक बार फिर गहलोत कुर्सी बचाने में कामयाब हुए. लेकिन इतना तय है कि प्रदेश राजनीति से गहलोत का जादू उतरने लगा है. इसका परिणाम यह है कि निकट भविष्य में यहां राजनीतिक करवट बदलने के आसार दिख रहे हैं

कोरोना और आचार संहिता से प्रभावित हुआ कामकाज


यह भी सच है कि इन्हीं 2 वर्षों के कार्यकाल में प्रदेश में पंचायती राज और स्थानीय निकाय चुनावों के लिए आठ माह की आचार संहिता भी लगी रही जिससे सरकार को अपनी नाकामी छुपाने का एक और अवसर मिल गया. रही सही कसर कोरोना ने निकाल दी जिससे सरकार का कामकाज प्रभावित हुआ. संकट के इस दौर में केंद्र से मिलने वाली मदद में भी कमी आई जिसके चलते अनेक योजनाओं को सरकार चाहकर भी अमलीजामा नहीं पहना सकी है.

2 वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के अवसर पर बोलते हुए गहलोत ने कहा कि भाजपाइयों ने धनबल और बाहुबल से उनकी सरकार को गिराने के बहुत से प्रयास किए हैं लेकिन विधायकों की एकजुटता और जनता के आशीर्वाद से हमारी सरकार पांच साल पूरे करेगी. उन्होंने कैबिनेट विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों की बात भी कही है. उनकी मानें तो सरकार दो साल में अपने घोषणा पत्र में किए गए वादों में से आधे से ज्यादा वादे पूरे कर चुकी है. सरकार का दावा है कि उसने 501 वादों में से 252 पूरे कर दिए हैं जबकि 173 घोषणाओं पर काम जारी है. किसानों की लगभग 8000 करोड़ रूपये की ऋण माफी का वे बड़े गर्व से बखान करते हैं.

यथार्थ का धरातल


सरकार के दावों से इतर यथार्थ के धरातल पर प्रदेश की तस्वीर कुछ और ही बयां करती है. भ्रष्ट प्रशासनिक व्यवस्था और लचर कार्यशैली के चलते आज भी आम आदमी सरकार को कोसता नजर आता है. आए दिन उजागर हो रहे एसीबी के मामले इस बात की साख भरते हैं कि प्रदेश में भ्रष्टाचार किस कदर पांव जमाए हुए है. कोरोना संकट काल में सरकार द्वारा विद्युत बिलों में की गई 20% की बढ़ोतरी एक बड़ा मुद्दा है जिसने आम आदमी को बुरी तरह से प्रभावित किया है. वस्तुत: से यह बिजली कंपनियों की नाकामियों का बोझ है जो जनता पर डाल दिया गया है. सरकार का स्टेट हाईवे पर निजी वाहनों से दोबारा टोल वसूली शुरू करने का निर्णय किसी भी ढंग से उचित नहीं ठहराया जा सकता. प्रदेश का युवा बेरोजगारी का दंश झेल रहा है सरकार ने अपने घोषणा पत्र में जिस बेरोजगारी भत्ते की बात की थी उसे मजाक बनाकर रख दिया गया है. सरकारी भर्तियों का आलम यह है कि आरपीएससी सालों से अटके हुए परिणाम तक जारी नहीं कर पा रही है. आरएएस 2018 का मामला ही ले लीजिए जिसके मुख्य परीक्षा परिणाम को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है. मुख्यमंत्री गहलोत ने दावा किया है कि 25 अप्रैल को रीट की परीक्षा आयोजित की जाएगी लेकिन यह परीक्षा अभ्यर्थियों के जी का जंजाल बनी हुई है. सही मायनों में प्रदेश का युवा मानसिक तनाव और कुंठा में जी रहा है. सरकारी नौकरियों के अलावा उसके लिए अन्य विकल्प तलाशने की दिशा में कोई प्रयास नहीं हुए हैं. कोरोना संकट के चलते प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था आज तक शुरू नहीं हो पाई है. इसके चलते लाखों शिक्षक और स्कूल परिवारों के भूखे मरने की नौबत आ गई है.

नए कृषि कानूनों की खामियों को लेकर देशव्यापी किसान आंदोलन चल रहा है. प्रदेश सरकार चाहे तो किसानों के हितों की रक्षा के लिए इसमें भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. अरविंद केजरीवाल और कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकारें पूरे जोश से किसानों के साथ खड़ी है लेकिन राजस्थान में कांग्रेस आलाकमान से लेकर स्थानीय स्तर तक पार्टी के कारिंदे सिर्फ फोटो खिंचवाने और विज्ञप्तियां जारी करने तक ही सीमित हैं. कांग्रेस के विधायकों और जनप्रतिनिधियों में भी इस आंदोलन को लेकर कोई विशेष हलचल दिखाई नहीं देती.

ऐसे में सवाल यह उठता है कि कागजी जमा खर्च के भरोसे कांग्रेस कब तक जिंदा रहेगी. पंचायती और स्थानीय निकाय चुनावों में सरकार की कार्यशैली के परिणाम आने शुरू हो गए हैं जहां भाजपा पुन: अपना जनाधार खड़ा करने लगी है. पायलट की बगावत के सुर भले ही चुप दिखाई देते हों लेकिन अंदर खाते वे सुलग रहे हैं. राजनीतिक गलियारों में गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं. यदि ऐसा होता है तो प्रदेश की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है.

कुल मिलाकर कहना चाहिए कि 2 साल के कार्यकाल में प्रदेश सरकार भले ही खासा कुछ नहीं कर पाई हो लेकिन भविष्य उनके हाथ में है. यदि सरकार चाहे तो प्रदेश की तकदीर बदल सकती है अन्यथा समय आने पर जनता तो उन्हें बदल ही देगी !

Sunday 13 December 2020

सिटी हंड्रेड ने की अनूठी पहल


- वार्ड 42 में हुआ विकास समिति का गठन

- हाट बाजार में करेंगे श्रमदान

- ढाब पर बैठने वाले असामाजिक तत्वों पर होगी कार्रवाई

- वार्ड में लगेंगे जागरूकता सूचना पट्ट


'सीटी-100' की अनूठी पहल पर वार्ड संख्या 42 में नागरिकों की वार्ड विकास समिति का गठन किया गया है जो सामूहिक रूप से वार्ड की सार्वजनिक समस्याओं के समाधान हेतु प्रयास करेगी. इसी तर्ज पर क्रमवार हर वार्ड में विकास समिति का गठन किया जाएगा. रविवार को सिटी हंड्रेड द्वारा प्रशासनिक सुधारों और स्थाई विकास के मुद्दे को लेकर वार्ड संख्या 42 में आयोजित खुली बैठक उक्त निर्णय लिए गए.

'हमारा वार्ड हमारे मुद्दे' अभियान के तहत वार्ड नंबर 42 में संगठन की लगातार दूसरी साप्ताहिक सभा आयोजित हुई. बैठक में सिटी हंड्रेड की टीम के साथ वार्डवासियों ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की. विस्तृत चर्चा के बाद वार्ड विकास योजना के मुद्दे तय किए गए और 'सिटी हंड्रेड वार्ड-42 विकास समिति' का गठन किया गया. 21 सदस्यों की यह समिति वार्ड विकास के लिए योजना बनाएगी और उन्हें सिटी हंड्रेड टीम के साथ मिलकर लागू करवाएगी. इस समिति में वार्ड पार्षद बबलू सैनी सहित राजविंदर सिंह, संजय कटारिया, कैलाश मोदी, प्रवीण सेन, देवीदयाल छाबड़ा, अशोक सुखीजा, मोहम्मद अली को शामिल किया गया है. वार्ड 42 का कोई भी जागरूक नागरिक इस समिति से जुड़ने के लिए सिटी हंड्रेड से संपर्क कर सकता है.

 बैठक में गणेश मंदिर ढाब पर एकत्रित होने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्यवाही पर भी चर्चा की गई. इस संबंध में सिटी हंड्रेड द्वारा पुलिस को असामाजिक तत्वों के खिलाफ कड़ी और त्वरित कार्यवाही करने हेतु ज्ञापन भी दिया गया.

लगेंगे जागरूकता सूचना पट्ट


बैठक में चर्चा के बाद निर्णय लिया गया कि वार्ड भर में 'जागरूकता सूचना पट्ट' लगवाए जाएंगे जिन पर पार्षद, वार्ड के जमादार, सहित सिटी हंड्रेड के प्रभारी सदस्यों के नाम और मोबाइल नंबर लिखे जाएंगे. वार्ड की सामान्य सार्वजनिक समस्याओं के समाधान हेतु सूचना पट्ट पर दिए गए नंबरों पर संपर्क किया जा सकेगा.

टीम ने किया वार्ड भ्रमण

सभा के पश्चात संगठन सदस्यों ने वार्ड का दौरा किया और लोगों से मिलकर वार्ड की समस्याओं को जाना. वार्ड में बनाए गए हाट बाजार का भी मौका मुआयना किया गया. सदस्यों द्वारा तय किया गया कि अगले रविवार इस हाट बाजार में श्रमदान किया जाएगा और यहीं वार्ड विकास समिति की बैठक आयोजित की जाएगी.




Friday 11 December 2020

शहर में नरभक्षी की दस्तक !


- हाईवे पर हर घड़ी मंडरा रही मौत
- सैकड़ों जिंदगियां लापरवाही की भेंट
- अखरती जनप्रतिनिधियों की चुप्पी


(कॉटनसिटी लाइव). सुनने में शायद अजीब लगे लेकिन शहर में दबे पांव एक नरभक्षी की एंट्री हुई है जिसकी वजह से आमजन की जिंदगी सांसत में आ गई है. मजे की बात है कि यह नरभक्षी बेखौफ हो कर अपना काम करने में व्यस्त है. आप कहेंगे 'क्या मजाक है !'

यदि यकीन न हो तो इंदिरा सर्किल से गवर्नमेंट कॉलेज तक दुपहिया या टैम्पो पर सफर कर के देख लीजिए. जी हां, हाईवे निर्माण ठेकों की नरभक्षी कंपनी 'एमबीएल' ने धान मंडी की पश्चिम दिशा में वर्षों से लटक रहे ओवरब्रिज बनाने का काम शुरू किया है. इस कंपनी की घोर लापरवाही के चलते बीकानेर हाईवे पर सैकड़ों बेगुनाहों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है. हाईवे निर्माण में सारे सुरक्षा मानक ताक पर रखने वाली इस कंपनी की वजह से पिछले 4 सालों में अनेक सड़क दुर्घटनाएं हुई है. अपने स्वार्थों के लिए आमजन की जिंदगी को खतरे में डालने से यह कंपनी कभी नहीं चूकी. यही कारण है कि 'एमबीएल' को नरभक्षी कंपनी कहा जाने लगा है.


शहर में पसरा हुआ खतरा



इन दिनों हाईवे पर ऑवरब्रिज निर्माण का काम चल रहा है. इस निर्माण को शुरू करने से पहले ठेकेदार द्वारा हाईवे के दाएं और बाएं सर्विसलेन का निर्माण किया जाना था. लेकिन एमबीएल कंपनी द्वारा हाईवे की उत्तरी दिशा वाली आधी अधूरी सर्विस लेन बनाकर ही उस पर पूरा ट्रैफिक शिफ्ट कर दिया गया और ब्रिज का काम चालू कर दिया गया. नतीजा यह हुआ कि इस व्यस्ततम हाईवे से गुजरने वाला जम्मू कश्मीर, हिमाचल और पंजाब सहित सीमांत अंचल का सारा ट्रैफिक इंदिरा सर्किल और उप कारागृह के बीच महज 6 मीटर चौड़ी सड़क पर डाल दिया गया है. इस ट्रैफिक में भी ओवरलोडेड ट्रोले, साइलो, पराली की झाल भरे ट्रकों और ट्रैक्टर ट्रॉलियों की भरमार रहती है. जिनके कारण सर्विस लेन पर चल रहा पूरा ट्रैफिक अस्त व्यस्त हो जाता है. सर्विस लेन के एक तरफ 5 फुट गहरा नाला है तो धान मंडी से सटी दीवार की तरफ 5 फुट की ढलान है. सर्विस लेन से जब दो बड़े वाहन ऑवरटेक करते हैं तो साइड में चल रहे दुपहिया वाहन चालकों या टैम्पो का भगवान ही मालिक होता है क्योंकि लेन के दोनों तरफ किसी तरह के सुरक्षा मानक नहीं हैं. इस कंपनी के कारिंदे बिना किसी भय के निर्माण में घरेलू गैस सिलेंडरों का उपयोग करते हैं जिस पर कोई सवाल नहीं उठाता. कुल मिला कर इंदिरा सर्किल से उप कारागृह तक का पूरा हाईवे अत्यंत खतरनाक बना हुआ है. 

नरभक्षी की दास्तान



लगभग 5 वर्ष पूर्व  इस कंपनी को बीकानेर से सूरतगढ़ तक राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 62 के निर्माण का ठेका दिया गया था. हाईवे अथॉरिटी द्वारा देश में नेशनल हाईवे निर्माण के कड़े सुरक्षा मानक तय हैं. इन मानकों में निर्माण के दौरान पर्याप्त संकेतकों की व्यवस्था, रेडियम पटि्टयां, खतरे के चिन्ह, गति सीमा निर्धारक, स्पीड ब्रेकर, सड़क के दोनों साइड सोल्डरिंग आदि शामिल है जिनकी निर्माण से पूर्व व्यवस्था करनी जरूरी है. लेकिन इस कंपनी द्वारा हमेशा सुरक्षा मानकों की अनदेखी की गई जिन का नतीजा यह हुआ कि हाईवे पर हादसों की संख्या बढ़ती गई. पिछले 5 सालों के दुर्घटना आंकड़ों को देखें तो इस हाईवे पर बड़ी संख्या में मौतें हुई है. प्रशासनिक मिलीभगत के चलते आज तक इस कंपनी के खिलाफ कोई कड़ी कार्यवाही नहीं हुई न ही किसी ने हाईवे के हादसों में हताहत हुए लोगों के परिजनों का दर्द समझने की कोशिश की. हर हादसे को वाहन चालकों की लापरवाही और नियति जानकर स्वीकार कर लिया गया जबकि नियमानुसार इस कंपनी के सभी निदेशकों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304ए, यानी लापरवाही से दुर्घटना कारित करने के प्रथम दृष्टया मुकदमे दर्ज होने चाहिए थे.


पुलिस इन मामलों में सिर्फ दुर्घटनाकारित मर्ग दर्ज करती रही. किसी भी जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी ने यह जहमत उठाने की कोशिश ही नहीं की कि इन दुर्घटनाओं के पीछे एमबीएल की घोर लापरवाही का हाथ है. यदि यह कंपनी अपने दायित्वों की पूर्ति करती तो दुर्घटनाओं को अवश्य कम किया जा सकता था. एमबीएल इसी खतरनाक चुप्पी का फायदा उठाती रही और उसकी लापरवाही मासूम जिंदगियों को लीलती रही.
 

कोई बोलता क्यों नहीं ?


मान लिया कि प्रशासन इस मामले में मिलीभगत के चलते लंबी तान कर सोया है लेकिन सवाल यह उठता है कि इस गंभीर मामले पर संभावनाओं के शहर से कोई बोलता क्यों नहीं ! जबकि सूरतगढ़ में पांच-पांच विधायक बसते हैं और लगभग इतने ही लोग विधायक बनने के लिए मुंह धो कर बैठे हैं. इनके अलावा पालिका चेयरमैन और 47 पार्षदों सहित शहर में पंचायती राज के भी अनेक जनप्रतिनिधियों का निवास है लेकिन इन सबको जाने कैसा डर सताता है कि आमजन को खतरे में डालने वाली इस नरभक्षी कंपनी के आगे वे मुंह ही नहीं खोल पाते. हाइवे से सटे हुए वार्डों के पार्षदों की जिम्मेदारी तो और ज्यादा है क्योंकि इन वार्डों के लोगों का हाईवे से ज्यादा वास्ता पड़ता है. जहां हर घड़ी मौत मंडराती है. मंगलवार और शनिवार को तो खेजड़ी मार्ग पर जाने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ से खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है. जनप्रतिनिधियों की यह चुप्पी जाने किस हादसे का इंतजार कर रही है.
 
कुल मिलाकर लब्बोलुआब यह है कि जब ऐसी अंधेरगर्दी का आलम हो तो अपनी सुरक्षा अपने हाथ है. इस हाईवे से गुजरने से पहले दस बार सोच लें और  हाईवे पार करते समय पूरी सावधानी बरतें. प्रशासन और हमारे माननीय  तो हादसे के बाद मोर्चरी रूम के बाहर संवेदनाएं प्रगट करने का दायित्व संभाले हुए है और यही उनके हाथ में है.  

- डॉ.हरिमोहन सारस्वत 'रूंख'

रोटरी इनरव्हील क्लब द्वारा गौशाला में वाटर स्टोरेज टैंक भेंट


रोटरी क्लब की महिला विंग इनरव्हील, सूरतगढ़ द्वारा निराश्रित गोवंश शिविर में वाटर स्टोरेज टैंक भेंट किए गए हैं. इन वाटर टैंकों के आने से शिविर में जल संकट से राहत मिल सकेगी.


बीकानेर रोड पर राजकीय चिकित्सालय में पिछले 10 सालों से संचालित हो रहे हाईलाइन निराश्रित गोवंश शिविर में क्लब के सदस्यों द्वारा 2000 लीटर पानी की क्षमता वाली दो टंकियां भेंट की गई है. इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में क्लब की अध्यक्ष सोनू बाघला ने कलयुग में गौ सेवा को सर्वोपरि बताया और इनरव्हील की गतिविधियों पर चर्चा की. पूर्व पालिकाध्यक्ष काजल छाबड़ा इनरव्हील क्लब के सभी सदस्यों की भावनाओं की सराहना करते हुए ऐसे प्रकल्प निरंतर जारी रखने की बात कही. कार्यक्रम में क्लब की सदस्य अनीता धुवा व ममता गर्ग भी उपस्थित रही. इनरव्हील क्लब की सचिव निशा धुवा ने जानकारी देते हुए बताया कि इस प्रकल्प की धनराशि सभी सदस्यों के सहयोग से जुटाई गई है. भविष्य में भी क्लब द्वारा जनहित की ऐसी गतिविधियां आयोजित की जाएंगी.

इस अवसर पर हाईलाइन निराश्रित गोवंश शिविर की संचालक श्रीमती आशा शर्मा ने इनरव्हील क्लब को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए आभार जताया.


सफलता है मेहनत का प्रतिफल

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