( श्रृंखला-मानस के राजहंस )
-वैक्सीनेशन प्रोग्राम में नींव प्रस्तर हैं महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता
- 35000 से अधिक से वैक्सीन लगा चुकी हैंं मनोज कुमारी यादव
- कार्य समय के बाद भी दे रही हैं अमूल्य सेवाएं
क्या आपने कोरोना वैक्सीन डॉज लगवाई है ? यदि हां, तो एक बार वैक्सीनेशन सेंटर पर इंजेक्शन लगाने वाले नर्सिंगकर्मी के चेहरे को दुबारा याद कीजिए. उनके द्वारा लगाए गए टीके ने आपके लिए न सिर्फ कोरोना के खतरे को घटाया है बल्कि जीवन के प्रति डगमगा रहे आपके विश्वास को भी पुनर्स्थापित किया है. क्या इस पुनीत काम के लिए हमें उनका ह्रदय से आभारी नहीं होना चाहिए !
आइए, आज 'मानस के राजहंस' श्रृंखला में टीकाकरण टीम की कुछ समर्पित महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से रूबरू होते हैं. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सूरतगढ़ में कार्यरत मनोज कुमारी यादव, प्रेमलता और राजवीर कौर बराड़ राष्ट्रव्यापी वैक्सीनेशन प्रोग्राम में नींव के वे प्रस्तर हैं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद टीकाकरण को सफल बनाया है. भारत जैसे विकासशील देश में, जहां राजकीय चिकित्सालयों की व्यवस्थाएं किसी से छिपी हुई नहीं है, वहां वैक्सीन प्रोग्राम की अंतिम कड़ी के रूप में इन स्वास्थ्यकर्मियों ने पूरी जिम्मेदारी के साथ समर्पित होकर अपने कर्तव्य का निर्वहन किया है, वह वाकई सराहनीय है.
आइए, आज 'मानस के राजहंस' श्रृंखला में टीकाकरण टीम की कुछ समर्पित महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से रूबरू होते हैं. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सूरतगढ़ में कार्यरत मनोज कुमारी यादव, प्रेमलता और राजवीर कौर बराड़ राष्ट्रव्यापी वैक्सीनेशन प्रोग्राम में नींव के वे प्रस्तर हैं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद टीकाकरण को सफल बनाया है. भारत जैसे विकासशील देश में, जहां राजकीय चिकित्सालयों की व्यवस्थाएं किसी से छिपी हुई नहीं है, वहां वैक्सीन प्रोग्राम की अंतिम कड़ी के रूप में इन स्वास्थ्यकर्मियों ने पूरी जिम्मेदारी के साथ समर्पित होकर अपने कर्तव्य का निर्वहन किया है, वह वाकई सराहनीय है.
समीपवर्ती गांव सिधुवाला की मनोज कुमारी यादव पिछले 23 वर्षों से स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में सेवाएं दे रही हैं. वे गत 9 वर्षों से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सूरतगढ़ में कार्यरत है. टीकाकरण केंद्र पर मनोज अब तक लगभग 35000 लोगों को वैक्सीनेट कर चुकी हैं. दिन रात काम करने के बाद भी उनके चेहरे पर शिकन तक नहीं है. टीकाकरण केंद्र पर भारी भीड़ उमड़ने के बावजूद वह हर व्यक्ति के पूरे मनोयोग से वैक्सीन लगा रही हैं.
इसी टीम में ऊर्जावान महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता राजवीर कौर बराड़ भी शामिल है जो 4 एल.सी. जैतसर से है. बराड़ की नियुक्ति हाल ही में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुई है. वह भी टीकाकरण कार्यक्रम में अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दे रही हैं.
मनोज बताती हैं कि कोरोना वैक्सीन टीकाकरण के चलते उनका कार्यभार बहुत बढ़ गया है. नर्सिंग कर्मियों को अब 13- 14 घंटे तक काम करना पड़ रहा है. इंजेक्शन लगाने से लेकर वैक्सीन प्राप्त करने और उसे विधिवत रूप से स्टोर करने का काम भी उन्हें ही करना होता है. कई बार जिला मुख्यालय से देर रात में वैक्सीन प्राप्त होती है तब कुछ परेशानी बढ़ जाती है. प्रेमलता के अनुसार पब्लिक को इस महत्वपूर्ण काम में सहयोग करना चाहिए. टीकाकरण केंद्र पर कई बार भीड़ के चलते व्यवस्थाएं भी प्रभावित होती है लेकिन यदि थोड़ा सा धैर्य रखा जाए तो सब ठीक हो जाता है. राजवीर कौर का मानना है कि ईश्वर की विशेष कृपा के चलते उन्हें नर्सिंगकर्मी के रूप में जन सेवा करने का सुअवसर प्राप्त हुआ है.
टीकाकरण अभियान में भी सराहनीय काम
कोरोना वैक्सीनेशन के अलावा इस टीम ने सूरतगढ़ क्षेत्र के लाखों नवजात शिशुओं व गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण, पल्स पोलियो अभियान एवं परिवार कल्याण कार्यक्रम में भी अपनी अमिट छाप छोड़ी है. एक तरफ जहां आम आदमी के पास व्यवस्थाओं के प्रति शिकायतों का अंबार है वही दूसरी और मनोज प्रेमलता और राजवीर जैसी महिला कार्यकर्ताओं का राजकीय सेवा के प्रति समर्पण देखकर राहत महसूस होती है.
इन नर्सिंग कर्मियों की महत्ता पर प्रिंट मीडिया जगत की एक उक्ति याद आती है. कहा जाता है कि आप कितना ही बेहतर समाचार बना लें, कितना ही बेहतर अखबार प्रकाशित कर लें लेकिन यदि अखबार बांटने वाला हॉकर उसे समय पर पाठकों तक नहीं पहुंचाएगा तो सब व्यर्थ है. कमोबेश ऐसी ही कुछ बात वैक्सीनेशन प्रोग्राम की अंतिम कड़ी के रूप में काम कर रहे इन नर्सिंगकर्मियों की सेवाओं की है. वैक्सीन कितनी ही बढ़िया और प्रभावी क्यों ना हो, जब तक उसे इन नर्सिंगकर्मियों द्वारा सही ढंग से आमजन को नहीं लगाया जाता तब तक उसका कोई अर्थ नहीं है.
वाकई, समर्पित सेवाएं देने वाली इन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए एक सेल्यूट तो बनता है.
सेल्यूट सिस्टर्स !
-डॉ. हरिमोहन सारस्वत 'रूंख'