(संवाद शैली री राजस्थानी कहाणी)
रोड़वेज री बस. बस मांय भीड़. उपराथळी सवारयां. के आदमी. के लुगाई. दोनां भेळै फस्योड़ा टाबर. टाबरां भेळै किचरीजता थेलिया. पींपा. अेक आध बोरड़ी. बीड़्यां री बांस. गुटकै री पिचकारयां. पसेवै रा रिंगा. पाद री ठुस्क्यां. ठुस्क्यां रा हंकारा. उमस अर बांस रो कांई केवणो. सांस ई आवण स्यूं पैलां बिचारै. आंऊ का नीं. खिड़की सारली सीटां री सवारयां कीं सोरी. जच्चै जणा मुण्डो बारै. बिचाळला बापड़ा जावै कठै. पिंचीजतां रो जी अमूझै. करै तो कांई. पसवाड़ै बैठ्यां रै घणी दोराई. उभी सवारयां बांरै ऊपर आ’र पड़ै. पर्सनल जोन मांय धिंगाणै एन्ट्री. पसेवै रो चिरणामरत. हाथां मांय नीं तो गाभा मांय ई सई. लेवणो तो पड़सी. लास्ट बस. कोई करै ई तो के. टुरणै रो नांव ई नीं. मरया तो नीं. पण लारै कीं नीं.
छेकड़ उडीक मिटी. बस चाली तो सरी. हैर-हैर. सांस आयग्यो. सांस चालै तो कहाणी री सोध चालै. विचार रै साथै ई पाद रो भभूको. ल्यो, थे तो सोधो कहाणी. नाक पर रूमाल मेळ’र. छींक्यां अर पादयां मिनख ढबै तो कहाणी ढबै. नीं पछै बा क्यूं ठमै. उणनै तो फगत सोधण री निजर चाइजै. निजरां भेळी निजर. अेक अळघी निजर. बाऽऽऽऽ देखो कठै जा पूगी.
बस री छात. छात सूं जुड़या डण्डा. डण्डै पर लटकता हाथ. सीटां रै डण्डै माथै टिक्योड़ा हाथ. काळा हाथ. गोरा हाथ. मैन्दी री कोरणी राचेड़ा हाथ. कंवळा हाथ. छुल्योड़ा हाथ. मोळी बन्ध्योड़ा हाथ. तगारी ढोंवता हाथ. नागा हाथ..... हाथ ही हाथ. भांत भांत रा. हरेक हाथ री न्यारी कहाणी. बकार’र देखल्यो भलांई. हाथां मांय..घड़्यां. चूड़्यां. कड़ा. अर बां भेळै अेक आध कुचरण्यां ई...जिकी कहाणी नै आगै बधावै.
सिचलो कोनी खड़्यो रईजै के-
किन्नै केवै है-
तन्नै, और किन्नै तेरे बाप नै-
बाप रो नांव ना लेई, बाको भांग द्यूंला-
हाथ तो लगा’र देख, गिण्डसूरड़ी रा जामेड़ा-
राण्ड बोली रैवै है का नीं-
राण्ड हुवैली तेरी मां, मरज्याणा-
बा थापामुक्की. झींटमझींटा. गाळियां रा गुचळका.
अरे, इंया के करो लाडी-
के बात है भई ?
धिंगाणै उपर आ’र पड़ै भाईजी-
रैवण दे अे रूप री डळी-
सरम कर यार, फेर ई लुगाई री जात है-
सरम करयां बस तो लाम्बी होवण स्यूं रई-
व्हा करो-व्हा करो, गरमी पैली घणी है-
कई दूजा सुर रळै. पण सुरां री थुड़ कठै.
बात के होई भई, कीं लारै ई आवण दयो-
बात तो सदां आळी ई है -
अेकली लुगाई देख’र..... -
कीं तो भीड़ ई बेजां बळै-
भीड़ में कुचरणी करणै री छूट होवै के-
आ करीजै थोड़ी है, मतई हुई जावै-
हीं हीं हें हें -
पण जूत मतई कोनी पडै़ भाईजी-
हाथ तो लगा’र देखै दिखाणी-
अरै, राण्डी रोवणो तो हाथ लगाणै रो ई है-
हाथ तो लगायो ई कोनी भाईजी-
तो पछै आंगली चाली होवली-
(अेक बुड्ढो सुर) आंगळियां सूं टाबर थोड़ी होवै-
हीं... हीं... हें... हें...-
पछै बा बोलै क्यूं-
बकै है राण्ड बादी मांय, आपणो कांई लेवै, हीं... हीं...हें...हें...
दोनूं अेक ई डोळ रा दिस्या-
कसर इ कांई-
अर आपां रा डोळ ?
जावण दयो, के पड्यो है !
हीं... हीं... हें... हें...
बिन्नै तकाओ, लारली सीट पर, रोमांस चालै-
नुंवो जोड़ो है, मारण दयो मस्ती बापड़ां नै-
पण जिग्यां अर मौको तो देखणो चाईजै-
दोनूं ई है-
टाबरां पर कित्तो गळत असर हुवै-
अबार तो बूडियां पर होंवतो लाग्यो-
के ठाह-
सगळां री निजरां बठैई लाग्योड़ी है-
सणै आपणै-
हीं...हीं...हें...हें-
लोग जाबक ई नीं सोचै-
सोचणै नै थे म्है ऊभ्या हां नीं-
आपां तमाशो थोड़ी करां-
फगत निजरां रो फेर है-
पण फेर ई-
बो देखो, भाईड़ो आज मसां ई घर लेस्सी-
ऊं हूं, भोळा हो थे घरां पूग’र ई तो लेस्सी-
ना ओ, घरै पूग्यां पछै कीं लेणो नां देणों-
लेवण नै खेचळ अर देवण नै ओळमां-
सांची कयी, घर चलाणो भोत दोरो है-
साधै बुधै न तो तेल लूण ई फोरो कोनी खावण द्यै-
फेरा खायां पछै फोरा किंयां खाइज्यै-
ब्याव एक ब्याधि है-
जींवतां री समाधि है-
फेर ई आपां उछळ भाठो लेवां-
बळद नै तो घाणी जुत्यां ई सरै-
गळांई तो गावड़ी रै भी घलै-
अेक गाडी, दो पइयां री बात है-
पण जोड़ला पइया कोई सी गाडी रै दीसै-
धिकाणो तो पड़ै ई कुकर-
घड़ी घड़ी सिकै जणाई धिकै -
अर धिकै जका ई टिकै -
जींवतां रैवो, भुगतभोगी हो-
कसर ई कांई-
जावण दयो, के पड्यो है !
हीं... हीं... हें... हें...
टिगट टिगट-
टिगट तो दे भई -
फेर बीस और दयो-
क्यूं भाड़ो कित्तो है बीकानेर रो-
सित्तर, ल्यो परनै हुवो, टिगटां और ई है-
लै, बीस और ले, टिगट दै-
ल्यो पकड़ो टिगट-
हं ओ, थे टिगट पर चढ’र जाणो है के-
आपां सूं इंया कोनी हुवै-
बो पचास मांय ले जांवतो राजी-राजी-
अबार काकोजी आ जावै जणां-
काकोजी नै ई काका चाइजै-
सगळा काका अेक डोळ रा को हुवै नीं-
हां, थारी टिगट बोलो-
अे ल्यो, दो बीकानेर-
ठीक है, आगै सिरको भई आगै-
हं ओ, थे तो मास्टर हो, फेरूं ई टिगट कोनी ली-
म्हानै बस पर चढ़’र जाणो है, टिगट पर कोनी-
पण थारला सौ रिपिया गया तो उणरी गोजी मांय-
जावण दयो, म्हारो भी चाळीस रो फायदो है-
गल़त बात, आपनै टोकणो चाईजै-
रोज रो आणो जणो है, किंयां पोसावां-
आछो भानो है-
आटै मांय लूण जित्तो धिकै है ओ-
पण थे तो लूणां रोटी कर दी-
इत्तो सोचण री बेल्ह कठै-
सरकार रै तो घाटो घाल ई दियो थे-
बठै पैलां सूं ई मोटा चींचड़ लाग्योड़ा है-
पछै थे ई दीमक सूं घाट कठै-
हीं... हीं... हें... हें...
देस आगै कींया बधै, जद गुरूजी आप बैंगण खा रया है -
थे बधो, देस मतई बध जीसी-
मतई तो दो ई चीज बधै, का भीड़, का पेट-
दोनूं ई फोड़ा घालै-
भीड़ तो ढब सकै, पण पेट-
ना पूछो, हरि अनंत हरि कथा अनंता-
जनता रो तो फेरूं ई भरज्यै, पण नेतांवों रो-
सगळा आपरै डोळ सारू भर ई लेवै-
जिंया जनता रो अबार चाळीस मांय ई भरीज्यगो-
जावण दयो, के पड़यो है !
हीं...हीं...हें...हेंं..
ईमानदारी कोई चीज हुवै-
सगळो ठेको आपणो ई है के-
थे थारलो तो लेवो, दूजां रो सरकार आपई लेसी-
सरकार पर बड़ो भरोसो है-
करणो ई चाइजै, आपां ई चुणी है-
साव भोळा हो-
बोट कुण देवै-
देणो दीराणो कठै, बै तो दारू अर नोटां सट्टै लिरीजै -
आंगळी अडाणै मेल्हणी बंद कर द्यो-
अेक म्हारी आंगळी सूं कांई होवै-
थे सावल़ लगावो तो सरी, जमानो बदळ जासी-
छांटै छिड़कै सूं खेत कोनी बिजीजै. हब्बीड़ो उठै जद भलंई कोई बात बणै-
दूजो आपणै सारू क्यूं हब्बीड़ उठासी -
घणाई गैला हुवै, आजादी री राड़ भूलग्या ! नीं पछै दिल्ली ई चेतै करल्यो-
पण अे आक तो आपां नै ई चाब्यां सरसी-
चाबो नीं, कुण हाथ झालै है आपरा-
गुरूजी रै थकां चेला चाबता चोखा को लागै नीं-
गुरूजी री तो अबार बांदर गिणनै री डयूटी लागोड़ी है-
अठै किस्या बांदर पड़या है-
ना होवो भलंई, सरकारू आदेस है.-
- सदां दंई गोळ कर द्यो-
गोळ करणै रो मतलब है बिंटो गोळ. रिपोट तो बणाणी पड़सी.-
मिनख तो सावळ गिणीज्या ई कोनी, कवै कै बांदर गिणस्यां -
विधानसभा मांय सवाल उठ्यो है कै सरकार अजै तांई कित्ता नै बांदरा बणाय चुकी है. वन मंतरी नै उण रो पड़ूत्तर देवणो है-
पण सवाल तो बांदर बणावण रो नीं, बचावण रो हो-
कोई फरक कोनी पड़ै, बणै जिका भी बंचैड़ा मानीजै-
पछै मिनखां रा तो पोत चवड़ै आयग्या व्हा-
ठाह कोनी, पण बीकानेर आयग्यो है-
अबै मिनख अर पोत दोनूं ई उतरसी-
मिनख कठै रया अबार -
तो पछै आपां कांई हां-
बांदरा-
हीं... हीं... हें... हें...
जावण दयो, के पड़यो है !
-रूंख
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