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रूंख भायला


अंबर मुळकै धरती हुळसै
हरियल गाछ खडया गावै
ळुळ ळुळ करै जुहार आपरी
रूंख भायला कांई चावै...

पांख पखेरू जीव जिनावर
सगळा म्हारा बेली है
मोद घणेरो मिनखपणै रो
मिनखो सैं सूं पैली है
करै किळोळां टाबरिया जद
म्हारा मनड़ो हरसावै
ळुळ ळुळ करै जुहार.....

आओ थारी झोळी भरदयां
साग पात अर फूलां सूं
खाटा मीठा भांत भंतीला
फळ ल्यो म्हारी डाळां सूं
बाग बगीचां सोरम फूटै
घर आंगणियो सरसावै
ळुळ ळुळ करै जुहार.....

मिनखा थारी जिया जूण में
म्हारी अरपण काया है
जीणो मरणो थारै साथै
करमां लेख लिखाया है
रीत प्रीत री पाळ रया म्हे
लेणो नीं देणो भावै
ळुळ ळुळ करै जुहार.....

काट बाढ नै करो बळीतो
कुण सो थान्नै पालै है
पण जद बाढो हरयै रूंख नै
म्हारा हिवड़ा हालै है
डरै पंखेंरू आभो कळपै
नैणा नीर उतर आवै
ळुळ ळुळ करै जुहार.....

बिरवा रोपो बीज तोप दयो
गांव गळी अर खेता में
हेत रो पाणी नित उठ घालो
म्हे मुळकांला रेतां में
म्हारी रंगत देख बादळी
हरख हरख बिरखा ल्यावै
ळुळ ळुळ करै जुहार....

-रूंख

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