सच-1
आम आदमीडरता है थाने से.इसीलिएविपदा के समयवह तलाशता हैकिसी खास आदमी कोजो निर्भीक होकर जा सकेउसके साथपुलिस थाने में.दरअसल थानेखास लोगों के लिए हीबने हैं !
सच-2
खून मुंह लगा हैथानेदार के !मगर थानेदार बड़ा दु:खी हैइस बदनामी से.उसके हिस्से में आती हैकतरा भर खून से सनी रोटियांजबकि हाकिमडकार जाते हैंउसके शिकार कीलजीज बोटियां.तभी तो वहअपना गुस्सा निकालता हैछोटे-मोटे जानवरों परउसे पता हैइस जंगलराज मेंउसकी हैसियतलोमड़ी से ज्यादाकुछ भी तो नहीं !
सच-3
गेट पर खड़ेईमानदार संतरी कोबहुत मलाल हैजब उसे धता बताकरसीना फुलाएथाने में घुसे चले आते हैंसफेदपोश अपराधी.हद तो तब हो जाती हैजब थानेदार की घंटी सुनउसे कमरे में जाना पड़ता हैहाकिम के आदेश परसामने बैठे अपराधियों कोपानी पिलाना पड़ता है.उस वक्तटोपी पर लगाशेर का चिन्हमुड़दल गादड़े मेंबदल जाता हैटुकुर टुकुर देखताउसका सिपाही मनबहुत कसमसाता है.
सच-4
थाने में उगा हुआनीम का पेड़साक्षी हैजाने कितनी बातों का.थानेदार के कमरे से पहलेउसी की छांव मेंतय होते हैंसच और झूठमुस्तगिस और मुलजिमदोनों को निर्विकार भाव सेसुनता है नीम का पेड़.उसे ज्ञात हैछुपाए गए सारे तथ्यमिटाए गए सारे सबूतपर वह नहीं देताकभी कोई गवाही.पेड़ों के शब्दकोश मेंकहां होते हैंदगाबाज जैसे शब्द !
सच-5
रोज सुबह उठकरथानेदार आईने मेंअपना चेहरा ढूंढ़ता हैपराया अक्स पाकरवो कई देर तकमारता है पानी के छींटेबार-बार झटकता है सिर कोतब जाकर कहीं उभरता हैउसका धुंधलाया हुआ चेहरा.खुद कोएक टक देखने के बादथानेदार भीतर तकसिहर जाता हैदिल की आवाज सुनकरकसम खाता हैआज से ईमानदार होने की.मुस्कुराकर सिटी बजाते हुएहर सुबह वह करता हैथाने में चहलकदमीउसके होठों पर मचलता हैदेशभक्ति का कोई तरानाखुद में खुद को पाकरकहां होता हैआदमी की खुशी का ठिकाना.मगर सीट पर पहुंचते हीव्यवस्था का चक्रव्यूहउसे घेर लेता हैमलाईदार मामले देखवह खुद से मुंह फेर लेता हैलाख कोशिश के बावजूदईमानदारी का अभिमन्युआखिर मारा जाता हैथाने का दलालदुर्योधन की भांतिठहाका लगाता है.सांझ ढलते ढलतेथानेदार के भीतर का आदमीखो जाता हैरात के नशे में चूरपराया चेहरा ओढ़ करवह सो जाता है.
सच-6
ये जो थाने के कबाड़ मेंं पड़ेजंग खाए संदूक हैंदहेज का सामान भर नहीं हैइनमें बंद हैबेबस बेटी के सपनेबुढ़ाते बाप की आसमां का रूआंसा चेहराजिन्हें ढक दिया गया था कभीकेसमेंट की कढ़ाई वाली चादर से.धूप और बारिश की मार मेंउपेक्षित पड़े इन संदूको कोबड़े चाव से खरीदा गया थाकरीने से सामान जचाकरबांधी गई थी मोलीमगर समठणी में रखते हीराहु ने डस लिया था.बेटी की तकदीर बंधेइन संदूकों के भाग भीफूट गए थे उसी दिनजब दहेज के दानवों नेमारपीट करघर से निकाल दिया थातीन माह की गर्भवतीबाबा की राजदुलारी को.अब संदूक और बेटीदोनों कचहरी की तारीखों में उलझेजोह रहे हैं बाटअपनी-अपनी मुक्ति की !
सच-7
'टाइगर' का खून खौलता हैमगर वह बहुत कम बोलता हैभ्रष्ट मंत्री को एस्कॉर्ट करते वक्तसिर्फ 'यस सर' कहने के लिएअपना मुंह खोलता है.हालांकि सिर और आंखयथावत हैं उसके पासमगर जबड़े पर सरकारी छिंकी हैगुर्राते वक्त भोंथरे किये नाखूनों सेवह बस जमीन कुचरता हैअपने हिस्से का गोश्तचुपचाप निगलता है.घास खाने वालेमांस पचाने वालेसभी जीव जंतुडरते हैं टाइगर की दहाड़ सेमगर वह खुद डरता हैहंटर के प्रहार से.दरअसल आपातकाल मेंआदमी की नसबंदी सेकहीं बहुत पहलेलोकतांत्रिक व्यवस्थाकर चुकी थी हमारे शेरों काबधियाकरण.तभी तो आजशेर कहां बचे हैंहमारे देश में !
सच-8
'आमजन में विश्वासअपराधियों में भय'बहुत अच्छा लगता हैथाने की प्रवेश दीवार परलिखा हुआ नारा.मगर विडम्बना देखिएव्यवस्था के पेंटर ने'आमजन' और 'अपराधियों' कोऊपर नीचे करसब गड्डमड्ड दिया है !
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