पीळा पानड़ा
हो पीळा पानड़ा
झड्यां सरसी थान्नै
पड्यां सरसी थान्नै
नूंई कूंपळ सरसासी
पीळा पानड़ा.....
जिण दिन थारो जलम होवियो
बाज्या सोवन थाळ
घर आंगणियै सोरम फूटी
नाच्या ना-नौ ताळ
ओळयूं आरसी, ओ ओळयूं आरसी,
चेतै घणी आसी
चेतै घणी आसी
बान्नै अबै कुण गासी
पीळा पानड़ा हो.....
बाल़पणै में खिड़ खिड़ हांस्या
जोध जवानी गूंज्या
आय बुढापो घेरो घाल्यो
घर में पड़या अमूझ्या
मनगत बात री, ओ मनगत बात री
छाई है उदासी
छाई है उदासी
हरख हांसी कुण ल्यासी
पीळा पानड़ा हो.......
आणो जाणो, हंसणो गाणो
रीत प्रीत रा रंग
आंध्यां देखी, बिरखा देखी
देख्या कई वसंत
काळी रात रा, ओ काळी रात रा
बादळिया खिण्ड जासी
बादळिया खिण्ड जासी
भरम थारो मिट जासी
पीळा पानड़ा हो.......
माया मोह रा मकड़ी जाळा
घाल्या डाळां मांय
चिड़ी, कबूतर, हंस, कागला
पाळया आळां मांय
सुपनां हेत रा, ओ सगपण हेत रा
घड़ी में दुड़ जासी
घड़ी में दुड़ जासी
काया रो पंछी उड जासी
पीळा पानड़ा हो.......
-रूंख
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