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चीकणा घड़ा

चीकणा घड़ा

चीकणा घड़ा रे म्हे तो चीकणा घड़ा
पाणी मांखर काढ लेवां दाल रा बड़ा

बात बात पर फूरां जात जात पर फुरां
हाथां में सत है कठै जीभ सूं लड़ां

राज नै रूखाल़ता म्हे भेद नीं करां
हाथ्यां नै काड देवां कीड़ी पर अड़ां

प्रेम प्यार रीत राग मन री मनवार है
आंवते बटाऊ देख आडो जड़ां

सांच झूठ पाप पुन्न बगत रा है बायरा
जचै जिसी बात नै म्हे गोडै घड़ांं

बिरखा उडीकता पण छांट नीं पड़ी
धन है म्हारा सांवरा थे पटक्या गड़ा.
-रूंख

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