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Monday 22 April 2024
सावधान ! पुलिस के नाम पर ब्लैकमेल करने का नया गोरखधंधा
Tuesday 9 April 2024
सुप्रसिद्ध रंगकर्मी और साहित्यकार मधु आचार्य के जन्मदिवस पर एक यादगार शाम का आयोजन
कभी तो आसमान से चांद उतरे ज़ाम हो जाए
तुम्हारा नाम की भी एक सुहानी शाम हो जाए....
सोमवार की शाम कुछ ऐसी ही यादगार रही. अवसर था जाने-माने रंगकर्मी, वरिष्ठ साहित्यकार और भास्कर में लंबे समय तक संपादक रहे अग्रज मधु जी आचार्य के 65वें जन्मदिवस का. बीकानेर के मित्रों ने इस अवसर पर एक शानदार कार्यक्रम का आयोजन किया. एक ऐसी शाम, जिसके आनंदोल्लास में बीकानेर शहर के तो समर्पित रंगकर्मी और शब्दसाधक थे ही, राजस्थान भर से भी मित्र लोग पधारे.
मेरा सौभाग्य रहा, मुझे रंगकर्म और साहित्य के संवाहक आदरणीय डॉ. अर्जुनदेव चारण, हिंदी के विद्वान डॉ. माधव हाडा और राजस्थानी के विभागाध्यक्ष डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित के सानिध्य में मधुजी आचार्य के कथा सृजन पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलने का अवसर प्राप्त हुआ. मधुरम परिवार और बीकानेर के स्नेहीजनों ने इस अवसर पर भरपूर मान सम्मान दिया, उसके लिए आभार. ऊर्जावान लाडेसर हरीश बी. शर्माजी को इस स्नेह भरे नूंते के लिए लखदाद !
इस कार्यक्रम के बहाने बीकानेर के लगभग सभी मित्रों से मुलाकात हुई, उनके साथ 'जीमण' का आनंद लिया. यह भी एक सुखद उपलब्धि रही. कार्यक्रम के यादगार छायाचित्र भेजने के लिए ऊर्जावान बीकानेरी भायले संजय पुरोहित का आभार. यारियां जिंदाबाद !
Sunday 7 April 2024
'राम से सीता करे सवाल...' ने बांधा समां
- लोकप्रिय कवि नंद सारस्वत स्वदेशी के सम्मान में गोष्ठी का आयोजन
Sunday 31 March 2024
सूरतगढ़ के लाल ने जयपुर में ठोकी ताल
सूरतगढ़/जयपुर। चुनाव कोई भी हो, लड़ने के लिए जिगरा चाहिए। और बात जब लोकसभा चुनाव की हो तो हौसले के साथ-साथ तन, मन धन का समर्थन भी जरूरी है। राजधानी की सामान्य सीट से इस बार सूरतगढ़ के लाल ने ताल ठोकी है। वार्ड नंबर 23 के रहने वाले नरेंद्र शर्मा ने राष्ट्रीय सनातन पार्टी के प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया है। इतना ही नहीं, वे अपने समर्थकों के साथ जोरों-शोरों से जयपुर की सड़कों पर धुआंधार प्रचार कर रहे हैं। गौरतलब है कि राजस्थान में वे अपनी पार्टी के प्रदेशध्यक्ष भी हैं।
नरेंद्र शर्मा का नाम सूरतगढ़ के लिए अपरिचित नहीं है। उच्च शिक्षा प्राप्त नरेंद्र शर्मा भू राजस्व कानूनों के गहन जानकार हैं। यह खूबी उन्हें विरासत में मिली है। उनके पिता श्री ताराचंद शर्मा इलाके भर में योग्य और कुशल पटवारी के रूप में जाने जाते थे। उनके ताऊ श्री भगवती प्रसाद शर्मा राजस्थान उच्च न्यायालय में न्यायाधीश थे।
नरेंद्र शर्मा जन समस्याओं के समाधान हेतु जूझते नेताओं की अग्रणी पंक्ति में खड़े नजर आते हैं । उन्होंने शहर में हुए अवैध कब्जों और गैर कानूनी ढंग से काटी गई कॉलोनी को लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय में रिट लगा रखी है जिससे भूमाफियाओं में खलबली मची हुई है।
उल्लेखनीय है कि जयपुर शहरी लोकसभा सीट पर 8 प्रत्याशियों ने नामांकन भरे हैं। कांग्रेस की तरफ से पूर्व परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और भाजपा की मंजू शर्मा मैदान में है। चुनाव परिणाम चाहे कुछ भी रहे लेकिन इतना तो तय है कि नरेंद्र शर्मा के रूप में सूरतगढ़ की आवाज राजधानी में गूंज रही है।
Thursday 23 November 2023
पृथ्वी मील की लोकप्रियता ने बिगाड़े सारे समीकरण, जेजेपी रच सकती है नया इतिहास
प्रचार के अंतिम दिन शहर में घर-घर पहुंचे जेजेपी कार्यकर्ता सूरतगढ़, 23 नवंबर। चुनाव प्रचार के अंतिम दिन जननायक जनता पार्टी के सैकड़ो कार्यकर्ताओं ने मुख्य बाजार में डोर टू डोर जनसंपर्क कर पार्टी प्रत्याशी पृथ्वीराज मील के समर्थन में चुनाव प्रचार किया। पार्टी के हरियाणा कैडर के कार्यकर्ताओं के साथ स्थानीय कार्यकर्ताओं ने व्यापारियों और दुकानदारों से स्वच्छ राजनीति के लिए वोट की अपील की।
Thursday 19 October 2023
सूरतगढ़ सीट पर कैसे बचेगी कांग्रेस की साख !
( विधानसभा चुनाव 2023, तथ्यों का विश्लेषण भाग-1)
कांग्रेस की टिकट भले ही हनुमान मील को मिले अथवा डूंगर राम गेदर को, इतना तय है कि कांग्रेस की राहें सूरतगढ़ में आसान नहीं है। सोचने वाली बात यह है कि आखिर कांग्रेस की राहों में इतने कांटे किसने बिछाए ? क्यों कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व लगातार सूरतगढ़ की अनदेखी करता रहा ? क्या इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस की गिरती हुई साख का अंदाजा आला कमान को नहीं है ? उपलब्ध तथ्यों के प्रकाश में हम इन्हीं सवालों की क्रमवार पड़ताल करेंगे। आज इस चुनावी विश्लेषण की पहली कड़ी पढ़िए-
2018 में जब कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े हनुमान मील को 10235 मतों से हार का सामना करना पड़ा, उस वक्त हार का मार्जिन इतना अधिक भी नहीं था कि कांग्रेस बैक फुट पर चली जाती। इसकी पुष्टि कुछ दिन बाद हुए नगर पालिका चुनाव के नतीजे से की जा सकती है जिसमें कांग्रेस अपना बोर्ड बनाने में सफल रही। विधानसभा चुनाव में हार के बाद जो खीझ और निराशा कांग्रेस के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में देखी जा रही थी, वह ओमप्रकाश कालवा के पालिकाध्यक्ष बनने के बाद काफी हद तक दूर हो चुकी थी। पार्टी का स्थानीय आलाकमान तो कालवा की तारीफ करता नहीं अघाता था लेकिन उस वक्त उन्हें अंदेशा ही नहीं था कि कांग्रेस की जड़ें खोदने की तैयारी शुरू हो चुकी है।
नगर पालिका में फैली भ्रष्ट व्यवस्था और कालवा के कारनामों पर मीडिया लगातार तथ्यपरक समाचार उजागर करती रही लेकिन कांग्रेस नेतृत्व के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। कोरोना संकट काल में तो इस कदर लूट मची मानो 'आपदा में अवसर' का खजाना सूरतगढ़ नगरपालिका को ही मिला हो। कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष परसराम भाटिया और पार्टी के कई पार्षद पालिकाध्यक्ष के क्रियाकलापों का पुरजोर विरोध करते रहे लेकिन उनकी अनदेखी की गई। नतीजा यह हुआ कि गंगाजल मील की छत्रछाया में बैठे ओमप्रकाश कालवा एक दिन कांग्रेस को छोड़ भाजपा की गोदी में जा बैठे और कांग्रेस के हाथ से नगरपालिका की सत्ता फिसल गई। उल्लेखनीय है कि दो चुनावी हार के बाद कांग्रेस में शामिल हुए डूंगर राम गेदर भी इस भ्रष्ट उठा-पटक के घटनाक्रम पर मूकदर्शक बने रहे। लिहाजा उनके आने से सूरतगढ़ में कांग्रेस मजबूत होने की बजाय और कमजोर होती चली गई।
पूरे राजस्थान में यह एक अप्रतिम उदाहरण था जब पालिकाध्यक्ष ने ही पाला बदल लिया हो। कांग्रेस का नेतृत्व कर रहा मील परिवार कालवा के इस आचरण से ठगा सा रह गया। उसके बाद परस्पर आरोप-प्रत्यारोपों का एक ऐसा दौर शुरू हुआ जिसमें कांग्रेस की फजीहत हुई। कालवा ने तो दो-दो प्रेस कांफ्रेंस कर मील परिवार की प्रतिष्ठा को तार-तार कर दिया।
पब्लिक यह सब खुली आंखों से देख रही थी। इसीलिए जन चर्चा यह है कि कांग्रेस नगरपालिका को ही नहीं संभाल पाई, तो पूरे विधानसभा क्षेत्र को किस प्रकार व्यवस्थित कर पाएगी ? लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व राज्य मंत्री का दर्जा पा चुके डूंगर राम गेदर भी पार्टी को मजबूत करने की बजाय अपना कद सुधारने में लग रहे। उन्हें शायद याद ही नहीं रहा कि पार्टी मजबूत होगी, तभी वे विधानसभा में पहुंच पाएंगे। इस सारे घटनाक्रम का असर यह हुआ कि पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल धीरे-धीरे टूटने लगा। अमित कड़वासरा और गगन विडिंग जैसे युवा चेहरे भी पृष्ठभूमि में चले गए।
सार यह है कि हनुमान हो या गेदर, सूरतगढ़ नगरपालिका में व्याप्त भ्रष्ट व्यवस्था से उठे जनाक्रोश का खामियाजा तो चुनाव में कांग्रेस को भुगतना ही पड़ेगा। सूरतगढ़ शहर में लगभग 55 हजार वोट हैं जो यहां के चुनाव परिणाम में हमेशा निर्णायक सिद्ध होते हैं। देखना यह है कि कांग्रेस वर्तमान चुनावी दौर में किस रणनीति से शहरी मतदाताओं को लुभा पाती है।
Wednesday 18 October 2023
समदरां पार है मरूधर रै मेवां री सोरम
(संस्मरणात्मक आलेख)
कानदानजी कल्पित एक लोकचावै गीत में कैवै-
काचर, बोर, मतीर मेवा मिस्टान्न जठै
मुरधर म्हारो देस, झोरड़ो गांव जठै...
आ बात सोळा आना सांच है। मरूधर रा काचर, सूकेड़ा बेरिया, मतीरा, कैर, सांगरी, फोफळिया अर खेलर्यां मेवां सूं घाट कोनी। किणी रै जचै नंई तो काजू-बदाम मुलायां पछै सांगरी अर कैरिया मुला’र देखो दिखाण ! काजू किसमिस जे आठ सौ हजार रिपियां किलो मिलै तो चोखी सांगरी हजार सूं पैली कोई हाथ कोनी घालण देवै। बारीक कैरियां रो कैवणो ई कांई ! मॉल में पीसेड़ी काचरी मुलावो तो ठाह पड़ै सौ ग्राम रो डबियो पचास रिपियां रो है। भाव री तो छोडो, साची बात आ कै आज घड़ी आ मेवां री सोरम अर मिठास आखी दुनिया में जा पूगी है। म्हूं थार सूं तीन हजार किलोमीटर रै आंतरै बैठ्यो इण बात री पड़तख साख भर सकूं। कदास आं मेवां रै पाण ई राजस्थानी जीमण आखै जगत में सराइजै। काचरी री चटणी हो का सांगरी री सब्जी, बां रै सामीं एक’र तो काजू करी अर कड़ाही पनीर ई फीको लागै !
लारली दियाली रै पछै कॉलेज जावता बगत म्हूं आपरै एक भायलै साथै मदुरै री ट्रेन में हो, म्हारै सामली सीट पर एक दादी सा बैठ्या हा अर साथै बां रो पोतो। बूझîो तो ठाह लाग्यो, बै चेन्नई जासी। दादी सा घड़ी-घड़ी सीट रै हेठै रख्योड़ै आपरै समान नै संभाळै हा। अटेची अर बैग भेळै एक प्लास्टिक रो मोटो कटियो ई हो। भायलै दादी सा नै समान संभाळते देख’र पूछ्यो-
‘दादी सा, इण में कांई है ?’
‘काचरी अर फोफळिया है बेटा, अठै आवां जणां लेय जावां।’ दादी जी भायलै रो मूंडो जोवता थकां कैयो।
पछै तो सांगरी-कैरिया ई लाया होस्यो ?’ म्हूं मुळकतै सै बूझîो।
‘बै तो लावणा ई हा। आजकलै मिलै तो बठै ई है पण अठै जिस्यो स्वाद अर बरकत कोनी....।’ दादी सा कटियै रै खुलतै मूं नै सावळ जरू कर दियो।
इणी ढाळै एक’र दिल्ली एयरपोर्ट पर एक भाई साब मिलिया जिका लगेज चैकिंग आळी जिग्यां माथो मारै हा। बां अेक मोटै थेलियै में मरूधर रा सागी मेवा भर राख्या हा जिका भार में तो हळका हा पण बां रो थेलो खासा मोटो हो। बान्नै लगेज बिच्चाळै आपरी सांगरी, फोफळिया अर खेलरîां रै किचरीजणै रो डर हो, इण सारू बो थेलो आपरै सागै ले जावणो चावता। भागजोग सूं बां री सीट म्हारै सारै ई ही। प्लेन टेकऑफ रै पछै म्हूं जाणता थकां ई बां नै बूझîो-
‘भाईजी, बीं थेलै में के हो जिण सारू थे रिसाणा हो रैया हा ?’
बै म्हानै गौर सूं तकायो पण राजस्थानी बोलतां देख बां नै लखायो, छोरो है तो थळी रो। राजी होवता बोल्या-
‘मुरधर रा मेवा !’
पछै तो चेन्नई पूगणै तांई सूकेड़ा बोरिया, काचरी, सांगरी, कैर अर कूमठां री बातां चाल ई बोकरी। बां आपरै हैंडबैग सूं मतीरियै रै सेकेड़ै बीजां सूं भरी एक थेली काडी अर म्हारी मनवार करी। म्हानै लाग्यो जाणै म्हूं सांचाई ड्राई फ्रूट खा रैयो हूं। भाईजी बतायो कै अे मेवा आपणै गांव अर ढाण्यां सूं निसर’र फाइवस्टार होटलां रै मीनू में जा पूग्या है। आं मेवां री तासीर आ है कै आं में कोई पेस्टीसाइड का खाद रो प्रयोग नीं होवै, ओ धन तो थार री माटी में मतैई निपजै।
इयांई साल भर पैली चेन्नई में अंतर्राष्ट्रीय शतरंज टूर्नामेंट होयो तो म्हानै मेजबान भारतीय टीम में सामल होवण रो मौको मिल्यो। पंदरा दिनां रै इण उच्छब में दुनिया भर रा खिलाड़ी अर शतरंज रा रसिया पूग्या। इण इंटरनेशनल आयोजन में भारत सरकार भोत सांतरी व्यवस्था करी, ठैरणै सूं लेय’र जीमण तांई। जीमण रै हॉल में जद म्हूं काचरी री चटणी अर कैर सांगरी री सब्जी देखी तो म्हानै भोत गुमेज होयो। मेजबान होवण रै नातै म्हूं कई विदेसी खिलाड़ियां नै चटणी अर सांगरी रै साग बाबत बूझîो, तो बां सगळा उण नै भोत सराई। हंगरी री विस्व चैस चैम्पियन जुडिथ पोल्गर आपरी बंतळ में म्हानै बतायो, बुडापेस्ट में एक इंडियन रेस्टोरेंट है जठै लोग राजस्थानी काचरी री चटणी रा दीवाना है।
बां पंदरा दिनां में म्हूं चेन्नई रै लगैटगै सगळै फाइव स्टार होटलां में गयो जठै खिलाड़ी ठमेड़ा हा। बां होटलां रै मीनू में कैर-सांगरी अर बेसण गट्टा त्यार लाध्या। खास बात आ कै बठै काजू करी सूं मूंघी सब्जी कैर सांगरी ही।
जद कद तमिल भायलां रै पारिवारिक ब्यावां में जावण रो मौको मिलै तो बठै री पार्टी फंक्शन में नारेळ री भांत-भांत री चटण्यां, सांभर बड़ा, डोसा, रसम चावळ, परोटा भेळै और ई कांई ठाह कांई लाधै। पण बां रै बिच्चाळै जद सांगरी री सब्जी देखंू तो जी घणो राजी होवै। म्हूं बां नै बतावूं, अे म्हारै मुरधर रा मेवा है, ड्राई फ्रूट्स ऑफ राजस्थान !
आप सोचता होवोला, म्हूं कोई फूडी चैनल चलावूं जिण मांय देस-दुनिया रै स्वाद अर जीमण री बात होवै। पण इसी कोई बात कोनी। हां, म्हानै मरूधर रा मेवा अर मिनखां नै देख कन्हैयालाल जी सेठिया रो ओ दूहो घणी बार चेतै आ बो करै, कांई ठाह क्यूं ?
थे मुरूधर रा बाजस्यो बसो कठैई जाय
सैनाणी कोनी छिपै बिरथा करो उपाय।
Wednesday 11 October 2023
मनगत रै भतूळियां बिच्चाळै जागतो ‘भळै भरोसो भोर रो’
(डॉ. गौरीशंकर प्रजापत री पोथी भळै भरोसो भोर रो’ बांचता थकां......)
कोई ओळी कद कविता बणै, इण बाबत कैवण में घणी अबखाई ! परम्परागत अर जूनी कविता रै पेटै तो घणी बातां हो सकै पण गद्य होवती आधुनिक कविता नै तोलण रा बाट जिग्यां अर बगत सारू बदळता रैवै। कठैई तो भासा अर बोली री ठसक सूं कविता रा काण कायदा पूरा होवै तो कठैई रीत रै रायतां सूं पाणी सरीखी बैवती बात कविता रो रूप धर लेवै। आप कैस्यो, भाव रो पछै कांई मोल ? भाव तो मूळ है कविता रो, पण उण नै तो भाव सूं ई कीं बेसी चाइजै। फगत भाव री ओळयां सूं गद्य री घड़त तो हो सकै पण कविता तो अेक लय मांगै, रागात्मक विन्यास चावै। लीकोलीक चालता छंद, दूहा, सोरठा का चौपाई होवै या फेर किणी अलायदै विषय माथै लिख्योड़ी भाव भरी बात, जद तांई उण में अेक मांयली लय नीं है, उण लय सूं जागतो अंतसभेदू चिंतन नीं है, उण नै आपां कविता नीं कैय सकां। भासा कोई होवो, अतुकांत कवितावां में भी आपां नै अेक सांगोपांग लय लाधै जिकी उण नै कविता रो रूप दिरावै। आ लय बा सागी राग है जिकी सांसां रै सगपण में है, कुदरत रै काण कायदां में है, दुःख में, दरद में, हांसी में, रळी में.......आखी जगती माया में है। सबद जद इण राग नै पकड़ै तो गीत जलमै, कविता बणै अर मानखो मिनख बणै। बारूद सामीं, आ कविता अर उण री लय री ताकत ही तो है कै गीत उगेरतो मिनख कदेई गोळी नीं दाग सकै !
जिकी कविता भोर रो भरोसो जगावै, आपरी संस्कृति रा अळोप होवता सैनाण सामीं लावै, प्रीत री रीत रो बधेपो करै, बां कवितावां माथै बंतळ होवणी बित्ती ई जरूरी है जित्ती कोई लिखारै सारू कविता या कहाणी रो रचाव। बात आपरै समकालीन कवियां री होवै तो ओ दायित्व दूणो हो जावै। इणी बात नै बधावता थकां कविता रै पेटै आज बात करणी है डॉ. गौरीशंकर प्रजापत रै नवै कविता संग्रै ‘भळै भरोसो भोर रो’।
डॉ. प्रजापत मायड़ भासा मानता आन्दोलन में अेक जाण्यो पिछाण्यो नांव है जिको सदांई हरावळ दस्तै मांय उभ्यो लाधै अर सगळां री हूंस बधावै। संसद सूं लेय’र विधानसभा तांई डॉ. प्रजापत राजस्थानी री मानता सारू खेचळ खावै, छेवट कदेई तो पार पडै़ला। ओपती बात आ है कै बै बरसां सूं कॉलेजां में राजस्थानी साहित्य भणा रैया है। बांरां आलेख ठावै पत्र-पत्रिकावां में लगोलग छपता रैवै, राष्ट्रीय अर अंतर्राष्ट्रीय कार्यषालावां में भी बां बीसूं बार साहित्यिक शोधपानां बांच्या है। बां रा कई निबंध संग्रै छप्योड़ा है अर अनुवाद रै पेटै ई सरावणजोग काम है।
‘भळै भरोसो भोर रो’ बांरो नवो कविता संग्रै है। इण पोथी रै फ्लैप माथै चावा-ठावा लिखारा मधु आचार्य लिखै, कै मानखो आपरै मांयलै उजास नै भूलतो जा रैयो है अर कविता रो धरम है उण उजास नै बणायां राखणो। गौरीशंकर री अे कवितावां उणी मांयलै उजास कान्नी ले जावै अर जूण रै आछै मारग माथै चालण खातर उणरी हूंस बधावै। हरीश बी. शर्मा पोथी री भूमिका में कैवै, गौरीशंकर री कविता राजस्थानी कविता में बदळाव रा अेनाण है। आं कवितावां रो महताऊ पख इण रो कहण है। लखावै है कै आं कवितावां री पोथी बणन सूं पैली सीझण री अेक लाम्बी आफळ होई है। पोथी बांचा तो ठाह पड़ै, आं कवितावां में कोई खतावळ नीं है, कवि भोत साफगोई सूं आपरी मनगत नै परोसै, कविता रै तम्बूरै रा तार कठैई कसीजै अर कठैई मोळा पड़ै, पण खरी बात आ कै ओ कवि भावां रै भतूळियां नै ढाबणो जाणै, जणाई उण री दीठ अबखायां बिच्चाळै ई भोर रो उजास सोध लेवै।
इण संग्रै में तीन खंड है। पैलो खंड ‘जूण’ नांव सूं है जिणमें छोटी-मोटी 33 कवितावां है। अे कवितावां मिनखा जियाजूण री अंवेर करती आगै बधै। प्रेम रा न्यारा-निरवाळा रूप ही आं कवितावां रो मूळ है। पैली कविता ‘हेत रा आखर’ में कवि आपरै हियै री पोथी में दब्योड़ै भावां नै सामीं लावण री बात करै। प्रीत री ओळूं रै मिस बो आपरी मनगत नै सबदां रै पाण परोटै। ‘खरी नदी, खारो समदर’ इणी मनगत नै दरसावती सांतरी कविता है। प्रेम में खुद नै गमाय देवणो ई नदी नै खरी बणा देवै, अर भावना रो भख लेवणियै नै खारो समदर। पसरती सोरम, सिराणै-पगाणै, अटूट बंधन, प्रेम रो पागी आदि कवितावां भी प्रीत रै ओळै-दौळै रो रचाव है। आं कवितावां री भासा सरस है अर बुणगट ई ओपती, कीं नवा प्रयोग करण री खेचळ ई कवि करी है। जद गीतकार गुलजार ‘सुरीली अखियां’ री उपमा ले सकै तो गौरीषंकर प्रजापत री ‘इमीं भरी आंख्यां’ मांखर पसरती प्रीत ई सराणी चाइजै।
‘म्हारी मा’ नांव री रचना में कवि भोत सांतरै अर सरल ढंग संू मा रो नेह बखाण्योे है। अनपढ़ होवता थकां ई मा टाबर रै हियै रा अेकोअेक हरफ पढ़ जाणै, गाळभेळ भलंई उण नै नीं आवती होवै पण आपरै टाबरां सारू बा आखै जगत सूं झगड़ सकै। ‘ओळावां री पोथी’ कविता मांय कवि उडीकती मनगत में उठ्यै सवालां रो ऊथलो चावै। आछो-माड़ो सिरैनांव री कविता में कवि मिनखपणै नै सामीं राखतो कैवै-
थारी निजरां में/म्हैं माड़ो हूं/पण म्हानै माड़ो बतायां/थूं आछो साबित नीं होवै/जियां थारी भूंडाई करतां/म्हारी भलाई सिद्ध नीं होवै..।
दूजो खंड ‘जथारथ’ नांव सूं है जिण में डॉ. प्रजापत री दीठ रो पकाव सामीं आवै। पैली कविता ‘सीख’ में थ्यावस री बात है तो ‘आतमा रो मोल’ में कवि धिरजाई सूं बूझै, कांई ओळमां, तानां अर गुणां रो बखाण ई फगत आतमा रो मोल होवै ? दरपण सिरैनांव सूं इण खंड में सात कवितावां है। दुनियावी मायाजाळ सूं आखतै होयोड़ै कवि रो चैरो खुद सूं सवाल करै-
अबै दरपण में/देखण री/अर देखता रैवण री/ हंूस नीं रैयी/स्यात अबै बच्यो ई कोनी/बो बच्यो खुच्यो हेत/खुद सूं ई !
इण खंड में कई कवितावां रा बिम्ब कुदरत रै रंगां सूं ई आकार लेवै। आं कवितावां पेटै शंकरसिंह राजपुरोहित लिखै, गौरीषंकर प्रजापत प्रकृति रा ई चितेरा कवि है। इण चितेर मांय प्रकृति रो मानवीकरण करण मांय ई बै बिम्ब अर प्रतीकां री रचना इण भांत करै पाठकां रै मन मांय कविता रा चितराम मतैई मंडाण लेवै। फळसै उभी सांझ इस्यै चितराम री ही अेक कविता है।
संग्रै रो तीजो खंड ‘जीवण-सार’ नांव सूं है। इण खंड में 28 कवितावां है। हेत सिरैनांव सूं पांच चितराम है जिकां री बुणगट सांतरी है। बानगी देखो-
हेत रंग नीं/पाणी नीं/उजाळो नीं/ताप नीं/ बिरखा नीं/फगत मैसूस करण सारू/होवै हेत।
बिडरूप होवती संस्कृति में कवि अपणायत सोधणो चावै पण उण नै कोई सैनाण नीं लाधै, पछै बो आपरी पीड़ कविता में उतारै। रचाव देखो-
अठै नीं है मा जाया बीरा/ना ई है कड़ाई रा सीरा/अठै तो मिलै बर्गर नै चाउमीन/हर पळ बदळै अठै रिस्तां रा सीन/म्है दो म्हारै अेक/ रैया तीन रा तीन!
सांची बात तो आ है कै आं कवितावां रो कवि हांसणो तो चावै पण दुनियावी अबखायां अर रंग-ढंग देख उण रै मूंडै हांसी री ठौड़ चिंतावां री लकीरां पसरी रैवै। बो कैवणो तो भोत कीं चावै पण बगत अर दुनियादारी उण रा होठ सीड़ देवै। ‘हियै हेत री गांठ’ कविता इण बात री साख भरै। जठै बो आपरी मनगत रै पानां में अणूतो, अथाग हेत बतावै, जिण रै अेक गांठ लाग्योड़ी है। आ गांठ भोत मायावी है, दुनियावी है, छळगारी है। कवि बार-बार बूझै, इण जिनगाणी में इत्तरी गांठां क्यूं है, जेकर कोई इण गांठां नै खोलै तो मतैई मिनखपणै रो उजास पसर जासी अर सो कीं सैंचन्नण हो जावैलो। कदास, इण गांठ रै खुलणै सूं ई भोर रो भरोसो जागै।
सूर्य प्रकाशन मंदिर, बीकानेर सूं छप्योड़ी इण पोथी री छपाई अर छिब ओपती है पण मोल 300 रिपिया होवण सूं आम पाठक बेगो सोक नीं जुड़ सकै। प्रकाशक नै ई बाबत थोड़ो सजग होवणो चाइजै। इण पोथी नै बांच्यां पछै साररूप सूं कैयो जा सकै कै अे कवितावां राजस्थानी री आधुनिक कविता रो अेक पड़बिम्ब है जिणरो भविष्य उजळो दीसै। उम्मीद राखां, डॉ. गौरीशंकर प्रजापत री काव्य जातरा रा और सांतरा, घणी ऊंडी दीठ रा रचाव पाठकां सामीं आसी।
डॉ. हरिमोहन सारस्वत ‘रूंख’
सावधान ! पुलिस के नाम पर ब्लैकमेल करने का नया गोरखधंधा
- पुलिस अधिकारियों की डीपी लगे व्हाट्सएप नम्बरों से आती है कॉल - साइबर क्राइम मामलों पर पुलिस और गृह मंत्रालय की बेबसी 'हैलो' कौ...
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