- पालिका बैठक में उघड़े पार्षदों के नये पोत
(आंखों देखी, कानों सुनी)
- डॉ. हरिमोहन सारस्वत 'रूंख'
पालिका एजेंडे के आइटम नंबर 07 पर आप खूब पढ़ चुके हैं । बैठक में इससे इतर जो कुछ हुआ, उसे भी जानिए। पालिका के पार्षदों ने एक दूसरे के कुछ नये पोत उघाड़े हैं। बिना किसी भूमिका कुछ तथ्य आपके समक्ष प्रस्तुत है :
- पूर्व पालिकाध्यक्ष परसराम भाटिया ने बैठक में सबके सामने पार्षद राजीव चौहान को कहा, ''भूलग्या, मैं थान्नै अर तााखर नैै तीन-तीन लाख दिया हा, खागे हराम करग्या !''
- पार्षद यास्मीन ने परसराम भाटिया को कहा, ''तुम सबसे बड़े भ्रष्ट हो, मेरे वार्ड में पंप हाउस की जमीन का पट्टा जारी कर दिया।'' इस पर पार्षद वसंत बोहरा ने यास्मीन को कहा, ''थे बोलण नै मरो ! आंगनबाड़ी में 5 लाख खाग्या।''
- पालिकाध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा ने पार्षद कमला को कहा, ''थे आपगो पट्टो बणायो, फेर छोरै गै नांव गै बणायो, फेर दूसरै छोरै गै नांव गो बणायो, पार्षद होवता थारा पट्टा बण ई कोनी सकै !"
- परसराम भाटिया ने ओम कालवा को कहा, '' बसंत विहार के यूटिलिटी वाले मामले में तुम एक करोड़ रुपए खा गए और पट्टा जारी कर दिया, डूब मरो !"
- आइटम नंबर 7 के समर्थन में बोल रहे पार्षदों ने परसराम भाटिया और धर्मदास सिंधी पर इस मामले में 50 लाख की डील सिरे न चढ़ने के आरोप लगाए। उनका कहना था इसलिए आप ज्यादा कूद रहे हो !
- विधायक डूंगर राम गेदर ने एजेंडे से पहले शहर की सफाई व्यवस्था पर चर्चा करनी चाही लेकिन ओम कालवा ने कहा, ''चर्चा तो एजेंडे के अनुसार ही होगी।'' हालांकि बाद में खुद कालवा बैठक के बीच में ही पत्रकारों को प्लॉट देने का नया प्रस्ताव ले आए, मजे की बात पार्षदों पर मेजें भी थपथपा दी। कालवा की इस चतुराई पर किसी पार्षद की टिप्पणी सुनाई दी 'आप गुरूजी बैंगण खावै, दूसरां नै....!"
- बैठक में यह पता लगाना बड़ा मुश्किल था कि कौन सा पार्षद कांग्रेसी है और कौन सा भाजपा का। पत्रकारों में कानाफूसी हुई, "ये सब सिट्टासेक पार्षद हैं !"
हमेशा की तरह महिला पार्षदों की भूमिका इस बैठक में भी मूकदर्शक की रही। सिवाय इक्का-दुक्का प्रतिक्रिया और आरोप के ये महिलाएं चुपचाप देखती रही।
अब जनता ही तय कर ले कि उसने कैसे-कैसे जनप्रतिनिधि चुने हैं ! सफाई व्यवस्था हो या बरसाती पानी की निकासी का मामला, टूटी सड़कों का मुद्दा हो या पालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार, कहीं कोई उम्मीद मत पालिए बस देखते जाइए।
अंत में......ठहाका लगाइए-
प्रधान, ओ सूरतगढ़ है !