Search This Blog
Sunday 28 April 2024
कुछ शब्द भीतर तक डराते हैं !
Saturday 27 April 2024
कॉलर खड़े किए हाथों में घड़ियों वाले दिन !
आज लगभग बीस बरस बाद एक बार फिर हाथ घड़ी पहनी है ! सोचा, इस घड़ी के बहाने ही सही, पगडंडियों के दिनों की कुछ यादों को संजोया जाए।
दरअसल, कुछ रोज पहले अचानक एक ख्याल उमड़ा था, क्यों ना ब्लैक स्ट्रेप वाली हाथ घड़ी पहनी जाए ! ख्याल तो ख्याल था, जिस गति से आया था उससे दुगुनी चाल में लौट गया। दो-तीन दिन से तबियत कुछ नासाज़ थी। घर पर थर्मामीटर तलाशा तो पता चला उसकी बैटरी डाउन है। बैटरी चेंज करवाने के लिए जनसंघर्ष के साथी राजवीर भाजी की दुकान पर पहुंचा। वहां घड़ियों को देख एक बार फिर पुराने ख्याल ने दस्तक दी।
बस भाई राजवीर ने तुरंत अपनी पसंद की हाथ घड़ी पहना दी। स्मार्ट वॉच के जमाने में एचएमटी की सुइयों वाली घड़ी ! सच पूछिए तो स्मार्ट वॉच मुझे कभी पसंद ही नहीं आयी। मेरा दिल तो हमेशा टिक-टिक करने वाली सुइयों वाली घड़ी पर ही रीझता है। फिर एचएमटी से तो स्वदेशी वाली फीलिंग भी आनी है !
1982-83 का वक्त रहा होगा। उन दिनों हाथ घड़ी का बड़ा क्रेज हुआ करता था। अपने-अपने रुतबे के हिसाब से लोग घड़ी पहना करते थे। मैं हनुमानगढ़ के रेलवे स्टेशन पर स्थित सरकारी स्कूल में सातवीं जमात का विद्यार्थी था। स्कूल में कुछ बच्चे घड़ियां पहन कर आते थे, उन्हें देखकर मेरा भी मन घड़ी पहनने को ललचाया करता। उन्हीं दिनों पापाजी एचएमटी की नई घड़ी ले आए थे, सो उनकी सफेद डायल वाली पुरानी वेस्टर्न वॉच मेरी लालसा और अकड़ की तुष्टि करने के लिए पर्याप्त थी। संयोगवश मेरे जिगरी दोस्त संजय गुप्ता के पास भी अपने दादाजी से मिली वैसे ही घड़ी थी। हम दोनों उन एंटीक घड़ियों को पहनकर बेवजह इतराया करते थे। उस घड़ी में नियमित रूप से चाबी भरनी पड़ती थी। काले स्ट्रेप में गोल डायल मेरी नन्ही कलाई पर क्या खूब फबता था ! उन दिनों जब राह चलता कोई समय पूछता तो एक अनूठी अनुभूति का एहसास होता। वह घड़ी भले ही पूरा दिन टिक-टिक करती थी लेकिन बकौल मां के, उन दिनों मेरे पैर घर में टिकते ही नहीं थे। अन्नाराम 'सुदामा' के शब्दों में कहूं तो गधा पच्चीसी उम्र थी वह !
फिर 1986 में मैट्रिक परीक्षा में जब स्कूल टॉप किया तो वादे के मुताबिक पापाजी ने गुरुद्वारा गली स्थित प्रहलाद जी मोदी की दुकान से गोल्डन कलर की एचएमटी 'जयंत' घड़ी दिलवाई थी। उसमें सुनहरी चैन लगी थी। जाने कितने दिन तक मैं उस नयी घड़ी के नशे में झूमता फिरा था। भटनेर फोर्ट स्कूल से नेहरू मेमोरियल कॉलेज तक के सफ़र में मेरे पास वही घड़ी थी। यादों भरा बेहद शानदार वक्त बिताने वाली उस घड़ी के साथ मैंने सफलता के कई आयाम छुए थे।
उसके बाद तीसरी घड़ी सौगात के रूप में ससुराल से मिली। विवाहोत्सव में समठणी के वक्त टाइटन की खूबसूरत सुनहरी घड़ी पहनाई गई जिसमें बैटरी लगी थी। यानी चाबी भरने का झंझट ही नहीं ! उसे पहनते ही जीवन बड़ी तेजी से दौड़ने लगा था। जाने कितने दिनों तक उसे पहना होगा याद ही नहीं ! हां, इतना जरूर याद है कि 2003 के आसपास हनुमानगढ़ में मोबाइल फोन आने के बाद से घड़ी की जरूरत ही महसूस नहीं हुई।
आज एक बार फिर जब हाथ में घड़ी पहनी है तो गुजरे वक्त का शुक्रिया अदा करने को जी चाहता है ! प्रमोद तिवारी की कविता की कुछ पंक्तियां याद आती है-
याद बहुत आते हैं गुड्डे-गुड़ियों वाले दिन
दस पैसे में दो चूरण की पूड़ियों वाले दिन
बात-बात पर छूट रही फुलझडियों वाले दिन
कॉलर खड़े किए हाथों में घड़ियों वाले दिन....!
-रूंख
Monday 22 April 2024
सावधान ! पुलिस के नाम पर ब्लैकमेल करने का नया गोरखधंधा
Tuesday 9 April 2024
सुप्रसिद्ध रंगकर्मी और साहित्यकार मधु आचार्य के जन्मदिवस पर एक यादगार शाम का आयोजन
कभी तो आसमान से चांद उतरे ज़ाम हो जाए
तुम्हारा नाम की भी एक सुहानी शाम हो जाए....
सोमवार की शाम कुछ ऐसी ही यादगार रही. अवसर था जाने-माने रंगकर्मी, वरिष्ठ साहित्यकार और भास्कर में लंबे समय तक संपादक रहे अग्रज मधु जी आचार्य के 65वें जन्मदिवस का. बीकानेर के मित्रों ने इस अवसर पर एक शानदार कार्यक्रम का आयोजन किया. एक ऐसी शाम, जिसके आनंदोल्लास में बीकानेर शहर के तो समर्पित रंगकर्मी और शब्दसाधक थे ही, राजस्थान भर से भी मित्र लोग पधारे.
मेरा सौभाग्य रहा, मुझे रंगकर्म और साहित्य के संवाहक आदरणीय डॉ. अर्जुनदेव चारण, हिंदी के विद्वान डॉ. माधव हाडा और राजस्थानी के विभागाध्यक्ष डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित के सानिध्य में मधुजी आचार्य के कथा सृजन पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलने का अवसर प्राप्त हुआ. मधुरम परिवार और बीकानेर के स्नेहीजनों ने इस अवसर पर भरपूर मान सम्मान दिया, उसके लिए आभार. ऊर्जावान लाडेसर हरीश बी. शर्माजी को इस स्नेह भरे नूंते के लिए लखदाद !
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhnANyg6vJr4abChV9dTRyiFjaivIFPXOX69heUCu-Avhx0a91e2gfHsYbCRjBta1LV3gbZIDQ7RF-0b5a0ksxc23ZlecpLUsn3HT5PEPi4BLZ-r7kpvcasmOGNvC7h6bEH67BDbZO5pAkeSt902hANNCd1NP5aKFeZBd_ZEre8-A_LNXWUK0YZ5yq20oQZ/w290-h400/20240410_101421.jpg)
इस कार्यक्रम के बहाने बीकानेर के लगभग सभी मित्रों से मुलाकात हुई, उनके साथ 'जीमण' का आनंद लिया. यह भी एक सुखद उपलब्धि रही. कार्यक्रम के यादगार छायाचित्र भेजने के लिए ऊर्जावान बीकानेरी भायले संजय पुरोहित का आभार. यारियां जिंदाबाद !
Sunday 7 April 2024
'राम से सीता करे सवाल...' ने बांधा समां
- लोकप्रिय कवि नंद सारस्वत स्वदेशी के सम्मान में गोष्ठी का आयोजन
एपेक्स विमैंस क्लब ने लगाई शरबत की छबील
- निर्जला एकादशी के पहले दिन जन सेवा का कार्यक्रम आयोजित सूरतगढ़, 17 जून । निर्जला एकादशी के पहले दिन अपेक्स विमेंस क्लब द्वारा मीठे शरबत की...
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgvmBfcF1tVPVdC_FaCZiQEQoIfYbPa5qofbiQmLgDnRYDfIDYSfrA6rIUuCelV1yxvsc77Jcfw1YtYVudqHLd4I0AnZ2M9sCR740V-coOyi9U_2kWvuSJ9Lwnew-kdtDOWJvOeMRanhGT3STAxMcwFEJ1qvL7biKQ-_aGeVgzgXlOgPBSUHy_dECWZtQ60/w640-h312/20240617_110453.jpg)
Popular Posts
-
( विधानसभा चुनाव 2023, तथ्यों का विश्लेषण भाग-1) कांग्रेस की टिकट भले ही हनुमान मील को मिले अथवा डूंगर राम गेदर को, इतना तय है कि कांग्रे...
-
(मीडिया के आइने में चेहरा देख बौखलाए विधायक के नाम चिट्ठी) शुक्रिया कासनिया जी ! आपने प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष राजेंद्र पटावरी को पढ़ा तो स...
-
खुद को कांग्रेस का सच्चा सिपाही और कर्मठ कार्यकर्ता बताने वाले ओमप्रकाश कालवा के पोत चौड़े आ गए हैं। पालिका में चल रहे संक्रमण काल के दौरान ...