Search This Blog

Monday 13 April 2020

एक आम आदमी की दृष्टि में देश आगे कैसे बढ़े !


(प्रधानमंत्री के रूप में मेरी प्राथमिकताएं)

लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्रधानमंत्री वह व्यक्ति होता है जिसका जनता अनुसरण करती है. उच्च आदर्शों की स्थापना करने वाला प्रधानमंत्री देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर कर सकता है, इसमें कोई संदेह नहीं है.
मेरे विचार से प्रधानमंत्री को भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और देश को महाशक्ति बनाने की दिशा में निम्न कार्यों पर प्राथमिकता से काम करना चाहिए:-

1. सर्वप्रथम उन्हें विलासिता पूर्ण प्रोटोकॉल युक्त जीवन की बजाय साधारण जन के रूप में अपनी छवि प्रस्तुत करनी चाहिए. जिस देश में आधी से अधिक आबादी को को खाने पहनने और रहने की उचित सुविधा उपलब्ध ना हो उस जन गण के नेता को सिवाय वांछित सुरक्षा व्यवस्था के अतिरिक्त अन्य सभी तामझाम को घटा कर सरकारी खर्च में अभूतपूर्व कटौती का अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए. प्रधानमंत्री की मंत्री परिषद को भी इसी प्रकार का व्यवहार करना चाहिए क्योंकि वे सभी लोकसेवक हैं. राष्ट्रपति से भी ऐसे ही आचरण की उम्मीद की जानी चाहिए.

2. न्याय व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन से देश में बेहतर कानून व्यवस्था बनाई जा सकती है. न्यायालयों में करोड़ों मुकदमे बकाया पड़े हैं जिनमें से अधिकांश अपीलीय प्रकृति के हैं. न्याय व्यवस्था में सिर्फ सिंगल अपील की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि निचली अदालतों पर भरोसा बढे. न्यायालयों की क्षेत्राधिकारिता का पुनर्निधारण होना जरूरी है. भारतीय दंड संहिता में अपराध और सजा के अतिरिक्त तीसरा महत्वपूर्ण प्रावधान उस अपराध के निस्तारण की समय सीमा तय करना आवश्यक है ताकि पुलिस और न्यायिक व्यवस्था में जनता का भरोसा नए सिरे से स्थापित हो. भ्रष्टाचार और बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों को कैपिटल क्राइम की श्रेणी में डालना जरूरी है जिनके लिए मृत्युदंड/अंगभंग ही बेहतर समाधान है.

3. भारतीय ब्यूरोक्रेसी आज भी अंग्रेजी पद्धति पर आधारित है जिसमें देश की आवश्यकताओं के अनुरूप बदलाव की जरूरत है. सबसे बड़ा भ्रष्टाचार यहीं से उपजता है. केवल सैद्धांतिक परीक्षाओं की बजाए प्रैक्टिकल नॉलेज आधारित चयन प्रक्रिया होना बेहद जरूरी है. चुने गए प्रशासनिक अधिकारी को न्यूनतम 2 वर्ष तक जनसेवक की भूमिका में प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए न कि परंपरागत प्रशासनिक अधिकारी के रूप में. प्रशासनिक व्यवस्था में डिजायर सिस्टम तुरंत बंद होना चाहिए ताकि अधिकारी बेखौफ होकर काम कर सकें. अधिकारियों के ट्रांसफर की केंद्रीय नीति बननी चाहिए जिसे कोई भी राजनीतिक सत्ता प्रभावित न कर सके.

4. अर्थव्यवस्था का आधार कृषि और उद्योग धंधे हैं. बदकिस्मती से दोनों की हालत खराब है. कृषि क्षेत्र में सुधार तभी लाया जा सकता है जब पारंपरिक कृषि के स्थान पर वैज्ञानिक पद्धति अपनाई जाए. उन्नत कृषि को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री को कृषि विशेषज्ञों के साथ एक समयबद्ध कार्य योजना बनानी चाहिए. वैज्ञानिक तौर तरीकों को अपनाने वाले प्रगतिशील किसानों की फसल का समर्थन मूल्य 25% तक बढ़ाना चाहिए जिससे दूसरे किसान प्रोत्साहित हो. नकदी फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष प्रोत्साहनकारी सुविधाएं विकसित की जानी चाहिए.

5. उद्योग धंधों की हालत सुधारने के लिए वर्तमान औद्योगिक नीति में सिंगल विंडो क्लीयरेंस को यथार्थ रूप से लागू करवाने की जरूरत है. नवाचारों को लागू करने वाले उद्यमियों को हर हाल में प्राथमिकता मिलनी चाहिए. आधारभूत ढांचे के निर्माण से जुड़े उद्योगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 10 वर्षीय फ्री टैक्स सुविधा मिलनी चाहिए. इसी प्रकार 100 प्रतिशत निर्यात करने वाली यूनिट्स को फ्री टैक्स के अतिरिक्त अन्य प्रोत्साहन देने वाली सुविधाएं विकसित करनी चाहिए. भारतीय टैक्स व्यवस्था में करों की दर को वैश्विक दरों के समकक्ष लाना चाहिए. करदाताओं की संख्या तभी बढ़ सकती है जब जनमानस में करों के प्रति भय न हो और वह स्वेच्छा से कर देने के लिए आगे आएं. करदाताओं को सरकार द्वारा आमजन की अपेक्षा विशेष सरकारी सुविधाएं देनी चाहिए ताकि उन्हें प्रोत्साहन मिले. इस प्रयोग से कर संग्रहण के आंकड़े तुरंत बदल सकते हैं.

6. प्रधानमंत्री को देश में विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास करने चाहिए ताकि तकनीकी क्षेत्र में हमारा वर्चस्व बढ़ सके. वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिवर्ष बड़ी राशि के नकद पुरस्कार स्थापित करने चाहिए. इसरो और यूजीसी जैसे संस्थानों को राष्ट्रीय विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की जरूरत है. सूचना क्रांति के क्षेत्र में भारत अपना वर्चस्व स्थापित कर सकता है बशर्ते भारत की सरकार सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स के लिए विशेष सॉफ्टवेयर पार्क विकसित करें.

7. देश की भावी पीढ़ी के निर्माण हेतु प्रधानमंत्री को समूचे देश में सेकेंडरी स्तर की शिक्षा में एकरूपता लानी चाहिए. प्रादेशिक शिक्षा बोर्डों को केंद्रीय शिक्षा बोर्ड के अधीन लाकर उनके दायित्व नए सिरे से निर्धारित किए जाने चाहिए तथा समयबद्ध ढंग से पाठ्यक्रमों का निर्धारण कर उनका अपडेशन किया जाना चाहिए. विद्यालय के शिक्षकों को शिक्षा के अतिरिक्त किसी भी अन्य गतिविधियों में नहीं लगाया जाना चाहिए. शिक्षकों का वेतन परफॉर्मेंस आधारित पद्धति से तय किया जाना चाहिए न कि गधे और घोड़े को एक समान हांक कर. उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नवीनतम सुविधाओं से युक्त केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्थापना होनी चाहिए जिनकी प्रवेश प्रक्रिया सिर्फ योग्यता आधारित हो. शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों से न्यूनतम शुल्क लिया जाना चाहिए ताकि प्रतिभावान विद्यार्थी वंचित न रह सके.

8. प्रधानमंत्री को देश की संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप पूर्णतया धर्मनिरपेक्ष होकर कार्य करना चाहिए. देश की प्रशासनिक और कानून व्यवस्था बिगाड़ने वाले तत्वों को तुरंत कड़ा दंड देने की व्यवस्था करनी चाहिए भले ही वह किसी भी धर्म के क्यों ना हो. अल्पसंख्यक आयोग और मंत्रालयों को तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए जो विभेद पैदा करते हैं. धार्मिक स्थानों यथा मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों की आय उसी वित्तीय वर्ष में जिला कलेक्टर की देखरेख में जन सुविधाओं को विकसित करने पर खर्च किए जाने की की बाध्यता लागू करने की जरूरत है.
9. संवैधानिक आरक्षण व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव की जरूरत है. जातिगत और सरकारी नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था केवल दो स्तर की होनी चाहिए जिसमें 45 प्रतिशत महिला आरक्षण और 10% दिव्यांग और शहीद परिवारों का आरक्षण हो. दबे कुचले वर्गों के बच्चों को सामान्य श्रेणी के बच्चों के सामने पूर्णतया निशुल्क बेहतरीन शैक्षिक व्यवस्थाओं का लाभ मिलना चाहिए लेकिन प्रतियोगी परीक्षाओं में सबको समान रूप से अवसर मिलने चाहिए.

10. अंतिम रूप से उसे हर निर्णय लेने से पूर्व यह मनन करना चाहिए कि उसके इस निर्णय से देश और अंतिम छोर पर खड़े देशवासी को क्या फायदा होगा ? यदि प्रधानमंत्री अपने निर्णयों में राजनीतिक हितों की बजाय देश हित को प्राथमिकता देना प्रारंभ कर दें तो यकीनन देश की तस्वीर बड़ी जल्दी बदल सकती है. 



No comments:

Post a Comment

आलेख पर आपकी प्रतिक्रियाओं का स्वागत है. यदि आलेख पसंद आया हो तो शेयर अवश्य करें ताकि और बेहतर प्रयास किए जा सकेंं.

सावधान ! पुलिस के नाम पर ब्लैकमेल करने का नया गोरखधंधा

-   पुलिस अधिकारियों की डीपी लगे व्हाट्सएप नम्बरों से आती है कॉल - साइबर क्राइम मामलों पर पुलिस और गृह मंत्रालय की बेबसी 'हैलो' कौ...

Popular Posts