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Tuesday 14 April 2020

राशन किट में शासन कीट (सामयिक व्यंग्य कथा)

(व्यंग्य कथा)
-डॉ. हरिमोहन सारस्वत 'रूंख'

'सर, लोग भूखों मर रहे हैं. पालिका प्रशासन क्या कर रहा है ?'

जरूरत से ज्यादा जागरूक समाजसेवी रोशन भल्ला ने दलबल सहित शहर भ्रमण पर निकले पालिकाध्यक्ष के सामने सवाल दागा.

पालिकाध्यक्ष ने कार की खिड़की से मुंह निकालते हुए कहा-

'आप चिंता मत करो. प्रदेश मुख्यमंत्री का आदेश है. किसी को भूखा नहीं मरने दिया जाएगा. हमने आज ही 50 लाख रुपए का अर्जेंट टेंडर निकाला हैं. जरूरतमंदों को राशन किट सप्लाई करेंगे.'

'बहुत बढ़िया, राशन किट में क्या क्या सामान होगा ? पास खड़े एक और समाजसेवी ने पूछा..

'किट में 10 किलो आटा, 1 किलो तेल, आधा किलो मिर्च मसाले, दो नहाने की साबुन और 1 किलो कपड़े धोने की साबुन देंगे.'

'तीन दिनों के भीतर हर जरूरतमंद परिवार को 'राशन किट' पहुंचा दी जाएगी.'

'परन्तु साहब, तीन दिनों तक बेचारा जरूरतमंद आदमी कैसे जिएगा ?'

'देखो, आज का दिन तो निकल ही गया है. कल मंगलवार है, ज्यादातर लोग हनुमान जी के भगत हैं इसलिए एक दिन का व्रत रख लेंगे. इससे आत्मा तो शुद्ध होगी ही संकट से निपटने के लिए प्रार्थना भी हो जाएगी. दिन तो एक ही बचा ना ! एक दिन तो आदमी भूखा रह ही सकता है, क्यों, है ना !'

पालिकाध्यक्ष ने वित्त सचिव की तरह समझदारी बताई. और भल्ला समेत वहां खड़े अन्य जागरूक जनों की प्रतिक्रिया सुनने को बेताब हुए. ये जागरूक लोग लॉकडाउन के बावजूद भूखे पेट इधर-उधर सूंघते फिर रहे थे.

'हां, यह तो बहुत बढिया समाधान है. हम सब आपके साथ सहयोग करेंगे.'

जागरूक लोगों ने तीन दिनों के उपाय पर तसल्ली जताई. भल्ला ने उपस्थिति दर्ज कराने के लिए राशन किट में 1 किलो आलू और 1 किलो प्याज शामिल करने का सुझाव दिया जिसे मुस्कुराते हुए अध्यक्ष महोदय ने स्वीकार कर लिया. वैसे पाठक जान लें कि भल्ला साहब सब्जी मंडी में कमीशन एजेंट है.

'अच्छा, नमस्कार. पालिका में अर्जेंट टेंडर की व्यवस्था देखनी है. चलो ड्राइवर...'

पालिका अध्यक्ष के आदेश पर सफेद डिजायर काला धुआं छोड़ती हुई आगे बढ़ गई.
...........

चूंकि कोरोना संकट के चलते अधिशासी अधिकारी को सांस लेने की भी फुरसत नहीं थी और थकान के कारण रात दो पैग भी ज्यादा हो गए थे लिहाजा पालिकाध्यक्ष द्वारा निर्देशित राशन किट का टेंडर प्रकाशित करवाना भूल ही गए. लग रहा था कि किट वितरण का मामला एक दिन और लेट होगा लेकिन 'अनुभव' के आगे 'भूल' का क्या मोल.

पालिकाध्यक्ष के आने और टेंडर खुलने से ठीक पूर्व ईओ के हस्ताक्षरों से बैक डेट में जारी हुआ टेंडर का विज्ञापन आज सुबह 'उड़ता तीर' में प्रकाशित भी हो चुका था. इस जागरूक समाचार पत्र के संपादक द्वारा इस विज्ञापन के प्रकाशन का बिल 3730/- रूपये (जीएसटी सहित) भी पालिका के अकाउंट सेक्शन में पास कर पहुंचा दिया गया था. अधिशासी अधिकारी की टेबल पर 'उड़ता तीर' का ताजा अंक करीने से रखा हुआ था.

जैसे ही पालिकाध्यक्ष अपने चेंबर में पहुंचे उनकी बाट जोह रहे अधिशासी अधिकारी ने कुल जमा 5 लोगों की उपस्थिति में टेंडर की कार्रवाई शुरू की. इनमें दो पालिका के अनुभवी ठेकेदार थे जिनके हाथों में दो-तीन अन्य फर्मों के मोहर सहित हस्ताक्षरित लेटर पैड थे और पांचवें के रूप में पालिका के सहायक अभियंता शामिल थे. इसी बीच समाजसेवी रोशन भल्ला भी अपनी फर्म का लेटर पैड और हाथ में मोहर लिए कार्यालय में दाखिल हुए.

'आओ भल्ला साहब, अच्छा हुआ आप सही समय पर आ गए.'

पालिकाध्यक्ष ने भल्ला का स्वागत करते हुए कहा फिर अधिशासी अधिकारी की ओर मुखातिब होकर बोले-

'ईओ साहब, राशन किट के जी शेड्यूल में प्रति किट 1 किलो आलू और 1 किलो प्याज भी जोड़ देना. भल्ला साहब ने ही यह बेहतरीन सुझाव दिया था लिहाजा यह टेंडर उन्हीं को देना मुनासिब होगा.'

'हीं हीं हीं, आपका आदेश सिर माथे.' भल्ला ने खींसें निपोरते हुए कहा.

'ठीक है सर.' ईओ ने भल्ला को घूरते हुए सिर हिलाया. उधर गोदारा बिल्डर्स और अग्रवाल कंस्ट्रक्शन्स के मालिकों की नजरें आपस में मिली और उन्होंने भी सहमति जताई. मौन रहते हुए भी टेंडर प्रक्रिया पूरी की जा सकती है, उस दिन पालिका अधिशासी अधिकारी के कार्यालय में इसका एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत हुआ. कोई शोर शराबा नहीं, चुपचाप टेंडर पेटी में विधिवत रूप से भरे 5 टेंडर फार्म डाले गए. सबसे न्यूनतम दर होने के कारण राशन किट का ठेका मै. अग्रवाल कंस्ट्रक्शन्स को मिला जिसमें मै. गोदारा बिल्डर्स डमी पार्टनर बन गए. अब यह मत पूछिए उनका हिस्सा कितना था.

'तो अग्रवाल जी, राशन किट की सप्लाई कब होगी ? मुझे हर हाल में आज से तीसरे दिन किट वितरण का काम शुरू करना है.' पालिकाध्यक्ष ने सवाल किया.

'आप आदेश करें हम तो कल ही आपूर्ति कर देंगे.'

जवाब सतपाल गोदारा की तरफ से आया था जो अब अग्रवाल कंस्ट्रक्शन में भी हिस्सेदार थे.

चेयरमैन साहब, यदि अर्जेंट टेंडर में कुछ अग्रिम भुगतान हो जाता तो......' हं हं हं, वो क्या है कि बैंक में भी इन दिनों पेमेंट का लेनदेन बहुत घट गया है.'

संपत जी अग्रवाल ने आशा भरी निगाहों से देखा.

'यह काम भई ईओ साहब का है.' यदि वह दे सकें तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है.'

पालिकाध्यक्ष ने मुस्कुराते हुए कहा.

'राज्य सरकार की नई गाइडलाइन के अनुसार हम 20% राशि अग्रिम भुगतान कर सकते हैं यानी 10 लाख रुपए.'

अधिशासी अधिकारी ने भुगतान का मार्ग प्रशस्त किया.

'बस फिर ठीक है, कबूतर फंड का 17% हम अभी नकद जमा करवा देते हैं और आप चेक काट दीजिए. क्यों भल्ला साहब, आप अपना हिस्सा नगद दे देंगे ना !

संपत जी अग्रवाल ने उत्साहित होकर कहा. भल्ला साहब ने सिर हिलाकर हामी भर दी.
पालिकाध्यक्ष, अधिशासी अधिकारी और सहायक अभियंता सहित सबने संकट की इस घड़ी में अपने-अपने हिस्से पर संतोष व्यक्त किया. ठेकेदारों ने बिना कुछ खाए पिए राशन किट आपूर्ति का काम शुरू कर दिया.
..............

लगे हाथों अगले दिन के अखबारों पर नजर डाली जाए. वो क्या है कि मीडिया के सहयोग के बिना राशन किट का सफल वितरण नहीं हो पाएगा.

'उड़ता तीर' की ब्रेकिंग न्यूज़-

'किसी को भी भूखा नहीं मरने देंगे: पालिकाध्यक्ष'

- कल से बंटेगी राशन किट
- पार्षदों की देखरेख में रहेगी व्यवस्था

(नि.सं.) । कोरोना संकट को देखते हुए पालिका प्रशासन ने जरूरतमंदों को राशन किट बांटने की सारी तैयारी कर ली है. कल से पार्षदों की देखरेख में किट वितरण प्रारंभ होगा. पालिका सभागार में आयोजित बैठक में पालिकाध्यक्ष ने पार्षदों को बताया कि राशन किट वितरण के लिए ₹50 लाख का अर्जेंट टेंडर किया गया है. राशन किट में घरेलू जरूरत का सारा सामान दिया जाएगा. प्रत्येक पार्षद को 150 किट वितरण के लिए दी जाएगी जिन्हें वे अपने वार्ड में स्वविवेक से चिन्हित गरीब परिवारों में बंटवाएंगे. सोशियल डिस्टेंसिंग की पूरी पालना के साथ आयोजित इस बैठक में पार्षदों ने पालिकाध्यक्ष के प्रयासों की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया.

(इसी अखबार के दो नंबर पेज पर 12 गुना 4 कॉलम का एक विज्ञापन लगा है जिसमें पालिका अध्यक्ष की हाथ जोड़े हुए फोटो लगी है. फोटो के ठीक एक तरफ कोरोना वायरस का चित्र भी छापा गया है.)

'फाचर इंडिया डॉटकॉम'
(हम सच छुपाते नहीं, छापते हैं)

पार्षदों ने लगाए 'चेयरमैन चोर है' के नारे

-राशन किट को लेकर पालिका बैठक में हंगामा
- किट वितरण में बड़े घोटाले की आशंका

(नि.सं.) । राशन किट वितरण को लेकर पालिका सभागार में आयोजित बैठक में पार्षदों ने घमासान मचाया. विधायक की उपस्थिति में ही वरिष्ठ पार्षद खेमचंद अरोड़ा ने पालिकाध्यक्ष से माइक छीन लिया और 'चेयरमैन चोर है' के नारे लगाने लगे. अरोड़ा ने आरोप लगाया कि राशन किट का ठेका एक ऐसे ठेकेदार को दिया गया है जिस पर भ्रष्टाचार के पांच मामले एसीबी में चल रहे हैं. उन्होंने आलू प्याज की आपूर्ति का ठेका भी पालिकाध्यक्ष के चहेते भूषण भल्ला को दिए जाने पर आपत्ति जताई. चेयरमैन से कोई जवाब देते नहीं बना और वे बगले झांकने लगे. इस पर पार्षद प्रकाश सैनी, रमजान खां, महावीर वर्मा, कामरेड रामेश्वर सहित कई अन्य पार्षद राशन किट टेंडर घोटाले की जांच करवाने की मांग करने लगे. विधायक और अधिशासी अधिकारी ने बड़ी मुश्किल से सबको शांत किया. विधायक ने चेयरमैन को निर्देश देते हुए सभी पार्षदों को साथ लेकर चलने की बात कही. बैठक में सरकारी आदेशों के बावजूद सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई गई.
सूत्रों से पता चला है कि पालिकाध्यक्ष ने मिलीभगत करते हुए राशन किट के ठेके में ₹10 लाख का अग्रिम भुगतान भी ठेकेदार को कर दिया है और कबूतर फंड में भी कमीशन की राशि नकद जमा हो चुकी है.

संध्या टाइम्स की ताजा खबर
(सबसे पहले, सबसे तेज)

खेम अरोड़ा होंगे किट वितरण कमेटी के अध्यक्ष

- पार्षद प्रकाश सैनी, रमजान खां, महावीर वर्मा और कामरेड रामेश्वर होंगे कमेटी सदस्य
- असंतुष्ट पार्षदों ने जताया पालिकाध्यक्ष में पूरा भरोसा

(नि. सं.) जरूरतमंद परिवारों को राशन किट वितरित किए जाने का रास्ता साफ हो गया है. पालिकाध्यक्ष ने जानकारी देते हुए बताया कि असंतुष्ट पार्षदों की गलतफहमी दूर कर दी गई है और अब खेमचंद अरोड़ा के नेतृत्व में वरिष्ठ पार्षद किट वितरण का दायित्व संभालेंगे. वार्ड पार्षद कामरेड रामेश्वर की देखरेख में वार्ड 10 से इस कार्यक्रम की शुरुआत होगी. पालिका के अधिशासी अधिकारी ने बताया कि इसके लिए सारी तैयारियां कर ली गई है.

(इस अखबार के फ्रंट पेज पर पालिकाध्यक्ष, खेम अरोड़ा और किट वितरण कमेटी के सदस्यों की सामूहिक फोटो के साथ 20 गुना 4 कॉलम का विज्ञापन छपा हुआ है. 'किसी को भूखा नहीं मरने देंगे' विज्ञापन का शीर्षक है.)

इधर पालिकाध्यक्ष के चेंबर में राशन किट सप्लायर और कमेटी के लोगों के बीच बैठक हो रही है.

'खेमजी, 'उड़ता तीर' तो चेयरमैन साहब ने काबू कर लिया है. 'फाचर' आप करो.'

महावीर वर्मा ने बोर्ड के सबसे घाघ सदस्य खेम अरोड़ा को छेड़ा.

' मैं तां 'उडदा तीर' वी लै लैया भरावा, हुण तुसी लवो.' खेम ने अपनी सांकेतिक भाषा में समझाया.

'यार खेम, बैठक में ढंग से बोला करो. पत्रकारों के सामने चेयरमैन को चोर कहने से पूरी पालिका बदनाम होती है.' कामरेड रामेश्वर ने समझाने के अंदाज में कहा.

'अच्छा..., एतकाल़ी डाकू कै दवांगे... क्यों चेयरमैन साहब !' खेम मजाक के मूड में था.

'छोड़ो खेम जी, राशन किट अग्रवाल जी के गोदाम में तैयार है. या तो उन्हें पालिका कार्यालय में मंगवा लें या सभी पार्षद डायरेक्ट उनके गोदाम से रिसीव कर लें. क्या ठीक रहेगा ?' पालिकाध्यक्ष ने गंभीरता दिखाते हुए कहा.

'अठै ल्या रै के करणो है. पार्षद आप ई उठवा लेसी, उठाव री पर्ची बणा'र साइन करा लेया.' प्रकाश सैनी ने अपनी होशियारी बताई.

'होर की, कम सोखा हो जऊ.' खेम अरोड़ा ने हामी भरी. 'ओ सम्पत, तेरी किट तां त्यार है, जां नीं ? रेहड़ी भाड़ा ई तूं दे के भेजणा है.'

'हं हं हं, खेम भाई जी, बिल्कुल तैयार है. आप चल कर देख लो. भाड़े की चिंता मत करो.' किट सप्लायर संपत जी मुस्कुरा कर बोले.

बहुत बढ़िया, खेम जी, प्रकाश जी आप लोग चेक कर लेना. प्रत्येक पार्षद को सुपुर्दगी साइन करवाकर 150 किट देनी है. ईओ साहब, सभी पार्षदों को अभी सूचना करवा दें. कल सुबह 10:00 बजे सभी 60 वार्डों में वितरण शुरू करवाना है.' पालिकाध्यक्ष ने उठते हुए कहा.

'हुण कम साड्डा है.' खेम जी ने कुर्ते की कॉलर ठीक करते हुए कहा और पास बैठे संपत अग्रवाल के थापी मारी.

संपत अग्रवाल के गोदाम में राशन किट के वितरण की व्यवस्था पूरी पारदर्शिता से हुई. खेम जी ने दो उंगलियां उठाई जिसे संपत जी ने स्वीकार कर लिया. कमेटी के सदस्यों को भी खेम अरोड़ा की दो उंगलियां जच गई क्योंकि खेम की एक उंगली तो उनके पास गिरवी रखी हुई थी.

कमेटी सदस्यों के जाने के बाद गोदाम में पार्षदों का आना शुरू हो गया. उनसे डील करने के लिए मै. अग्रवाल कंस्ट्रक्शन्स का डमी पार्टनर सतपाल गोदारा ही काफी था. अधिकांश नए पार्षद पुरानों का हाथ थामे आ रहे थे ताकि उनके अनुभव का लाभ ले सकें. सब ने अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार किट उठवाई लेकिन ईमानदारी इतनी थी कि सुपुर्दगी की सारी पर्चियां '150 राशन किट प्राप्ति' की टिप्पणी लिखाए हुए थी. अब कितने पार्षदों ने कितनी किट उठाई इसका आइडिया पाठक ही बेहतर लगा सकते हैं. हां इतना जरूर याद रखें कि ईमानदारी अभी जिंदा है इसीलिए शहर जिंदा है.

वैसे संकेत दे दूं कि अनुभवी ठेकेदार संपत जी अग्रवाल ने टेंडर में वर्णित संख्या की दो तिहाई किट ही बनवाई थी. इसके अलावा अग्रवाल कंस्ट्रक्शन्स की कच्ची हिसाब बही की में ईओ और चेयरमैन के निर्देशानुसार निम्न राशन किट भिजवाने की एंट्री भी की गई है-

1. पत्रकार कंवल जी (नकद) - 10 किट
2. एसडीएम का निजी सचिव - 20 किट
3.चेयरमैन की कामवाली बाई - 05 किट
4. पुलिस थाना - 25 किट
5. उड़ता तीर (नकद) - 20 किट
6. फाचर (4 हजार नकद +) - 20 किट
7. पालिका सफाई निरीक्षक - 10 किट

मजे की बात है कि गोदाम का स्टॉक रजिस्टर अब भी आधे से ज्यादा राशन किट का स्टॉक बता रहा है. यूं समझ लीजिए 'राशन किट' जादूगर सम्राट शंकर के 'वाटर ऑफ इंडिया' का रूप ले चुकी है जो कभी समाप्त ही नहीं होता.
............................

अगले दिन वार्ड 16 की पार्षद चक्की देवी के घर कच्ची बस्ती के बीस-पच्चीस लोगों का जमावड़ा लगा हुआ था. पार्षद पति भगवाना भाट चतुराई से किट बांट रहा था. चक्की देवी ने हर किट में से नहाने की एक व कपड़े धोने की दो साबुन पहले ही निकाल ली थी. उसके लड़के मोहन ने भी समझदारी दिखाते हुए हर किट से आधा किलो प्याज निकाल लिए थे और मोहल्ले के मोहन किराना स्टोर में रखवा दिए थे. कुछ लोग किट लेकर घर जा चुके थे कि तभी किशन स्वामी, जिसकी पत्नी कलावती ने चक्की देवी के सामने चुनाव लड़ा था, अपने साथ दो लोगों को लेकर पहुंचा.

'भगवाना, आं नै क्यूं कोनी दियो रे राशन ?'

किशन के स्वर में तल्खी थी.

'आंगो नाम खाद्य सुरक्षा मांय जुड़योड़ो कोनी.'

भगवाने ने एक दूसरे आदमी को किट पकड़ाते हुए कहा. किशन के साथ आए दोनों आदमियों ने भगवाने की तरफ आशा भरी निगाहों से देखा लेकिन भगवाना ठहरा पूरा खिलाड़ी, वह किशन को क्या धारता !

'तो नांव कुण जुड़ासी ? पार्षद तू है.'

किशन ने सुर ऊंचा करते हुए कहा.

बोटां आल़ी टैम तो भगवानों याद कोनी आयो आन्नै.'

भगवाने ने अपनी भौंहें नचाई और उन्हें अनसुना करते हुए दूसरे लोगों को किट देने लगा. किशन अनर्गल प्रलाप करता रहा लेकिन वहां उसका साथ कौन देता ? सब राशन किट की उम्मीद में भगवाने की ओर तक रहे थे. ऐसे में किशन ने वहां से चुपचाप निकलने में ही भलाई समझी. उसके साथ आए दोनों आदमी अंत तक वहीं डटे रहे कि शायद भगवाने को तरस आ ही जाए.

सबको सलटाने के बाद भगवान ने उनकी तरफ ताका. थोड़ी देर बाद बोला.

'किट तो दिरा देस्यूं पण ईं किसनियै गो सागो छोडणो पड़सी, बोलो मंजूर है ?'

'रोटी नाम सत है, खाये से मुगत है...' और यह मुक्ति इस वक्त भगवाने के हाथ में थी जिसे दोनों ने सहर्ष स्वीकार कर लिया.

'ल्यो, ऐकर एक किट ल्यो, आपसरी मांय बांट लेया.... बांट बांट गे खाणो, बैकूंठा गो जाणो !'
- रूंख














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