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Thursday, 16 April 2020

मिसेज कोरोनी ( व्यंग्य कथा)


( व्यंग्य कथा)
'खबरदार, जो घर में पैर रखा, जहां से आए हो वही चले जाओ.'

मिसेज कोरोनी ने तमतमा कर कहा.

'डार्लिंग, दरवाजा तो खोलो'.

कोरोना रिरियाता हुआ बोला.

'मर गई तुम्हारी डार्लिंग, दगाबाज वायरस, चार दिन आदमी के साथ क्या रह लिए, रंग दिखाने लगे.'

कोरोनी के स्वर में बहुत ज्यादा गुस्सा झलक रहा था.

'मेरी प्यारी कोरोनी, आखिर बात क्या है ? मैं इतने दिन बाद घर लौटा हूं. प्रिये, मुझे भीतर तो आने दो.'

बेचारे मिस्टर कोरोना घर के बाहर लाचार खड़े थे. आधी रात को मि. कोरोना के घर से आ रही आवाजों को सुनकर 'वायरस सोसायटी' के लोग जाग गए थे. मिसेज एनाफिलीज ने सबसे पहले अपना दरवाजा खोला था. उसके बाद दूसरे घरों के दरवाजे भी खुलने लग गए थे और सब मि. कोरोना की दुबली हालत देख रहे थे. दो पैग लगाकर अभी-अभी सोए स्वाइन फ्लू वायरस ने तो मन ही मन मि. कोरोना को दो गालियां दे डाली जिसकी वजह से सारा नशा काफूर हो गया था.

"डार्लिंग, दरवाजा खोलो ना प्लीज ! देखो, सोसाइटी के दूसरे लोग देख रहे हैं, मेरा तमाशा बन रहा है.'

मि. कोरोना की हालत देखने लायक थी.

अचानक दरवाजे की सिटकनी सरकने की आवाज सुनाई दी तो मि. कोरोना की जान में जान आई.

'मुझसे बात मत करो.' मिसेज कोरोनी ने दरवाजा खोलते हुए कहा. उनके गाउन की डोरियां भी गुस्से से अकड़ी हुई थी.

सॉरी, मुझे आने में देर हो गई. जूनियर सो गया क्या ? और बताओ, तुम नाराज क्यों हो डार्लिग ? कोरोना ने उखड़ी हुई पत्नी के मक्खन लगाते हुए भारी सा बैग एक तरफ रख दिया.

कोरोनी मुंह फुला कर धम्म से सोफे पर बैठ गई.

"ये देखो, तुम्हारा पति पूरी दुनिया में डंका बजाकर आया है. क्या अखबार, क्या टीवी, क्या अमेरिका और क्या चाइना ! सबकी वाट लगा दी है मैंने.'

कोरोना ने बैग से कुछ नामी-गिरामी अखबार निकाल कर कोरोनी के सामने टेबल पर फैला दिए. सारे अखबारों में कोरोना का नाम छाया हुआ था.

कोरोनी ने सरसरी नजर अखबारों पर डाली और गुस्से से तमतमाती हुई रसोई में घुस गई. कोरोना उम्मीद कर रहा था कि वह पानी का गिलास लाने गई है. कोरोनी लौटी तो उसके हाथ में चिमटा था. कोरोना को लगा वह मजाक कर रही है. वह खिसियानी सी हंसी हंसता हुआ बोला-

'डार्लिंग, अब गुस्सा थूक भी दो.'

कोरोनी में अचानक उसकी गर्दन को दबोच लिया और चिमटे से कोरोना की नाक पकड़ ली.

'तुम्हें शर्म तो नहीं आई अकेले अपना नाम टीवी और अखबार में देखकर ? मेरे बिना तुम्हारा डंका कैसे बज गया  ? आज मैं तुम्हे दिखाऊंगी डंका कैसे बजता है !'

कोरोनी ने गुस्से में चिमटे को दो-तीन बार जोर से झटका दिया. बेचारा कोरोना अपनी गर्दन और नाक छुड़वाने की कोशिश कर रहा था लेकिन शेरनी बनी कोरोनी ने उसे नीचे पटक लिया और उसकी छाती पर बैठ गई. दो घूंसे खाने के बाद अब कोरोना पूरी तरह से उसके कब्जे में था.

'ओ हो, अरे, मुझे छोड़ो तो सही, क्या करती हो मेरा दम घुटा जा रहा है. भई, मैंने कौन सा इंटरव्यू दिया है, किसी चैनल या अखबार वाले को ! तुम्हें तो पता ही है मीडिया आजकल कितना झूठ बोलता है. हाय, कमबख्तों ने मुझे बिना बात पिटवा दिया.'

कोरोना के दबे हुए नाक के कारण बड़ी मुश्किल से बोल फूटे.

कोरोनी ने उसके मुंह पर दो घूंसे और जड़ दिए.

"मिसेज एनाफिलीज ठीक ही कहती थी. 'बहन, काम अपने करें और नाम इनका हो' ये इन पुरुषों की घटिया मानसिकता है.' एनाफिलीज तो चतुर निकली जो समय रहते उसने मलेरिया में अपना नाम रोशन कर लिया. मुझे देखो कहीं एक जगह पर भी मेरा नाम आया है जबकि मैैं तुम से कहीं दुुगुना काम करती हूं ?'

कोरोनी ने चिमटे से कोरोना का नाक फिर चंचेड़ा. कोरोना की हालत देखने लायक थी। नाक बंद और गर्दन बीवी की मुट्ठी में. मुंह से सांंस लेेते हुए उसे साक्षात रौरव नरक के दर्शन हो गए थे. आखिर कोरोनी ने एक झटके से उसे पटक दिया. अब वह.फर्श पर पड़ा दर्द केे मारे कराह रहा था.

'... सुनो, चुपचाप ये मुकुट भी उतार दो. तुम इसके लायक ही नहीं हो'.


कोरोनी का गुस्सा सातवें आसमान पर था. बेचारा कोरोना समझ ही नहीं पा रहा था कि वह अपनी गर्दन सहलाए या नाक से बहता खून पौंछे. उसे नारी शक्ति का पता लग चुका था. उसे पक्का भरोसा था कि जरूर मिसेज एनाफिलीज ने ही सीधी-सादी कोरोनी के कान भरे हैं. लेकिन आज कोरोनी अपना बदला लेने पर उतारू थी. इसलिए उसने चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी.

'हूं, तो तुमने इंटरव्यू नहीं दिया था किसी को. वो खुद ही धड़ाधड़ तुम्हारा नाम छाप रहे थे, है ना ! घाघ आदमी, तुमने इस खबर का खंडन क्यों नहीं किया, मीडिया को बताया क्यों नहीं कि मैं तुम से कहीं ज्यादा खतरनाक हूं.' कोरोनी ने चिमटा बजाते हुए कहा.

'मुझे मौका ही कहां मिला, मैं तो अपने काम में व्यस्त था. तुम अगर कहो तो मैं अभी विज्ञप्ति जारी कर सबको भिजवा देता हूं और कोविड-19 का पूरा श्रेय तुम्हारे नाम कर देता हूं.' कोरोना लहूलुहान नाक को सहलाते हुए दबी जबान में बोला.

'वो तो तुम्हें करना ही होगा. आज के बाद तुम्हारा मुकुट भी मैं ही पहनूंगी और तुम विज्ञप्ति देने के बाद सीधे लौट कर घर आओगे. अब से घर के साथ-साथ जूनियर को संभालने की जिम्मेदारी भी तुम्हारी है. दुनिया को मैं संभालूंगी.' कोरोनी ने अपना आदेश सुनाया.

'ठीक है मेरी मां ! तुम जीती और मैं हारा.'
कोरोना ने हथियार डाल दिए.

'...और सुनो, विज्ञप्ति में साफ-साफ लिख दो कि अब पृथ्वी पर मिसेज कोरोनी आ रही है. मुझे सारे आदमी घर पर काम करते हुए दिखने चाहिए अगर कोई सड़क पर घूमता दिखा तो उसे वहीं इतना पीटूंगी कि पुलिसिया मार भूल जाएगा.'

घायल नागिन सी फुफकारती हुई मिसेज कोरोनी फैसला कर चुकी थी. मार खाए हुए मि. कोरोना ने रसोई में जाकर खूद पानी पिया और मीडिया को कोसते हुए एक बार फिर मीडिया के लिए ही लेटर पैड पर विज्ञप्ति बनाने बैठ गए.

- 'रूंख'









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