(मानस के राजहंस)
शेख सादी ने कहा है, "इससे पहले कि दुनिया तुम्हें मुर्दा कहे, नेकी कर जाओ !" समाज सेवा के लिए कतई जरूरी नहीं है कि आप कोई बड़ा काम करें। मामूली से दिखने वाले कई ऐसे काम है जिन्हें आप शिद्दत से करें तब भी यह दुनिया सुंदर बन सकती है। आपके काम से किसी को राहत मिले इससे बेहतर और क्या !
इस भयंकर गर्मी में प्यासे लोगों को पानी पिलाने का महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं नागरमल खटीक। सूरतगढ़ में आठ महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थानों पर नागरमल द्वारा शीतल जल सेवा का प्रकल्प चलाया जा रहा है जहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में राहगीरों को ठंडा पानी मिलता है। जन सहयोग से चलने वाली यह शीतल जल सेवा लंबे समय से रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, इंदिरा सर्किल, बड़ोपल बस स्टैंड आदि स्थानों पर निरंतर जारी है। सोमवार को भरी दुपहरी में रेलवे स्टेशन पर जल सेवा कर रहे नागरमल ने बताया कि इस प्रकल्प में 20 लीटर वाले लगभग 250 कैंपर प्रतिदिन लग जाते हैं। रेल गाड़ियों की सामान्य श्रेणी में यात्रा करने वाले लोगों के लिए यह सेवा एक वरदान साबित हो रही है। पसीने से तरबतर हुए नागरमल खटीक का जोश देखते ही बनता है जब उनके स्टाल पर पानी पीने वाले लोगों का हुजूम सा उमड़ पड़ता है। खाली कैंपर को दोबारा ठंडे पानी से भरते हुए नागरमल कहते हैं कि पेट पालने के लिए काम तो बहुत किया लेकिन मन को सुकून देने वाला काम तो अब ही किया है। ऐसे लोग मानस के राजहंस की श्रेणी में आते हैं जिनका काम दुनिया को और बेहतर बनाना है सलाम मेरे दोस्त, नागरमल खटीक लगे रहो !
मनमौजी स्वभाव के हैं नागरमल !
पूर्व में कबाड़ का काम करने वाले नागरमल मनमौजी स्वभाव के हैं। जिस काम में जुट जाते हैं उसे बड़ी लगन से करते हैं। उन्हें राजस्थान की भौगोलिक अवस्थिति की अद्भुत जानकारी है। वे प्रदेश के एक-एक जिले का क्षेत्रफल और उसकी सीमा का विस्तार मुखजबानी बता सकते हैं। इसके पीछे की कहानी भी बड़ी रोचक है, नागरमल ने लंबे समय से राजस्थान के समग्र विकास हेतु मरूप्रदेश बनाने की मुहिम चला रखी है। उनका मानना है कि छोटे राज्यों का विकास अपेक्षाकृत बेहतर होता है। थार के रेगिस्तान और अरावली पर्वत श्रृंखला के पश्चिमी भूभाग को जोड़कर मरूप्रदेश बनाया जा सकता है। इस अंचल की भाषा, खान-पान, वेशभूषा, और संस्कृति अरावली के पूर्वी पूर्वी प्रदेश से पूरी तरह भिन्न है।
उनके मरूप्रदेश की परिकल्पना से असहमति हो सकती है, पक्ष विपक्ष में तर्क दिए जा सकते हैं लेकिन फिर भी उसकी महत्ता से इनकार नहीं किया जा सकता।
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