Search This Blog

Friday 24 February 2023

कांग्रेस के सिपाही कालवा के पोत चौड़े, दलबदल कर वार्ड 26 की जनता से की सबसे बड़ी गद्दारी

खुद को कांग्रेस का सच्चा सिपाही और कर्मठ कार्यकर्ता बताने वाले ओमप्रकाश कालवा के पोत चौड़े आ गए हैं। पालिका में चल रहे संक्रमण काल के दौरान उन्होंने दल बदल कर साबित कर दिया है कि वह स्वार्थ सिद्धि के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। पूर्व विधायक गंगाजल मील को नीचा दिखाने की कोशिश में लगे कालवा का यह कदम स्थानीय राजनीति में क्या गुल खिलाता है यह भविष्य के गर्भ में है लेकिन इस निर्णय से नगरपालिका मंडल में उथल-पुथल और पार्षदों की खरीद-फरोख्त बढ़ना तय है।


भाजपा का दामन थामने वाले कालवा ने कांग्रेस के साथ गद्दारी की है या नहीं, यह तो वही जानें, लेकिन इतना तय है की वार्ड 26 की जनता के साथ उन्होंने गद्दारी की है। कालवा द्वारा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने से वार्ड की जनता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है। पार्षद से चेयरमैन तक का सफर कालवा ने इसी वार्ड के लोगों के वोटों के बूते तय किया था।

गौरतलब है कि यह वार्ड नगर पालिका चुनाव में सामान्य सीट का वार्ड था। लाइनपार सूर्य नगरी से आकर इस मोहल्ले में नये बसे कालवा ने लोगों के समक्ष गुहार लगाई कि यदि वार्ड के लोग उसे मौका दें तो जीतने के बाद उसे चेयरमैन बनाया जा सकता है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि वह वार्ड के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। चापलूसी भरी बातें और पूर्व में शिक्षक होने के चलते वार्डवासियों ने न सिर्फ उन पर भरोसा किया बल्कि अनुसूचित जाति होने के बावजूद सामान्य वार्ड से ओमप्रकाश कालवा को कांग्रेस की टिकट पर भारी मतों से जिताया था।

आज वार्ड के लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करते हुए कालवा ने वार्ड की जनता के साथ गद्दारी की है । जिस जनता ने कांग्रेस के नाम पर कालवा को वोट दिये और चेयरमैन बनाया, उनसे बिना किसी चर्चा के दल बदल कर उन्होंने साबित कर दिया है कि वे अपने वार्डवासियों के ही नहीं हुए तो शहर के हितैषी कैसे हो सकते हैं ! भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे कालवा ने अपना असली रंग दिखाते हुए गंगाजल मील की पीठ में छुरा भोंकने का काम किया है। वही गंगाजल मील, जो यह कहते नहीं अघाते थे कि हमने कांग्रेस के एक सच्चे सिपाही को पालिकाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाया है, एक ईमानदार शिक्षक को शहर का मुखिया बनाया है, खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

बहरहाल, राजनीतिक स्वार्थों के चलते इस कदर जनभावनाओं की अनदेखी करने की सजा कालवा को मिलना तय है। भाजपा जैसी पार्टी में जहां पहले ही एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति है, में जाकर अपना मुकाम बनाना या फिर सांसद और विधायकी के सपने देखना मुसद्दीलाल की कल्पनाएं मात्र हैं।

No comments:

Post a Comment

आलेख पर आपकी प्रतिक्रियाओं का स्वागत है. यदि आलेख पसंद आया हो तो शेयर अवश्य करें ताकि और बेहतर प्रयास किए जा सकेंं.

पृथ्वी मील की लोकप्रियता ने बिगाड़े सारे समीकरण, जेजेपी रच सकती है नया इतिहास

  प्रचार के अंतिम दिन शहर में घर-घर पहुंचे जेजेपी कार्यकर्ता सूरतगढ़, 23 नवंबर। चुनाव प्रचार के अंतिम दिन जननायक जनता पार्टी के सैकड़ो कार्य...

Popular Posts