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Monday 20 February 2023

लंबी लकीर खींची है मधु आचार्य ने !


(साहित्य अकादमी में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के कार्यकाल की समीक्षा)


साहित्य अकादमी में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल का कार्यकाल मार्च 2023 को समाप्त हो रहा है। इस पंचवर्षीय कार्यकाल की अवधि में दो वर्ष तो कोरोना की भेंट चढ़ गए लेकिन उसके बावजूद मंडल के समन्वयक मधु आचार्य साहित्य संपादन, लेखन और प्रोत्साहन की गतिविधियों को लेकर एक लंबी लकीर खींचने में कामयाब रहे हैं।

चूंकि मधु आचार्य पत्रकारिता के क्षेत्र से हैं और उनके पास हिंदी के शीर्ष समाचारपत्र दैनिक भास्कर के संपादन का लम्बा अनुभव है, लिहाजा उनके कमान संभालने से यह तो लगभग तय ही था कि साहित्य अकादमी में राजस्थानी परामर्श मंडल को तुलनात्मक दृष्टि से बेहतरीन नेतृत्व मिलेगा, लेकिन कोरोना संकट के चलते किसी को यह उम्मीद नहीं थी कि उनके कार्यकाल के दौरान सृजन, लेखन, अनुवाद और संपादन सहित साहित्य के अनछुए विषयों पर महत्वपूर्ण काम होगा।

आचार्य के इस कार्यकाल में साहित्य अकादमी की गतिविधियों ने राजस्थानी साहित्य के सृजन और विकास में एक अनूठा मुकाम बनाया है। परामर्श मंडल द्वारा अकादमी के देश भर में आयोजित कार्यक्रमों में विविधता और निरंतरता बनी रही है। कोरोना काल में जहां विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर लगातार ऑनलाइन सेमिनार्स आयोजित हुए वहीं आजादी के 'अमृत महोत्सव' के दौरान राजस्थानी साहित्य की लगभग सभी विधाओं पर विमर्श और सृजन के समानांतर आयोजन हुए। खास बात यह रही कि इन आयोजनों में अनेक नए और युवा रचनाकारों को सृजन के अवसर मिले हैं। महिला लेखन को प्रोत्साहन दिया जाना भी मंडल की नई पहल कहा जा सकता है।

इस कार्यकाल की उपलब्धियां देखें तो ''राजस्थानी में गांधी' विषय पर पहली बार 'सिंपोजियम' आयोजित हुआ जिसका सकारात्मक परिणाम यह रहा कि राजस्थानी में महात्मा गांधी पर एक बेहतरीन पुस्तक प्रकाश में आई। आचार्य द्वारा संपादित यह पोथी शोधार्थियों के लिए महत्वपूर्ण है। इसी प्रकार
कहानी विधा पर आलोचना के महत्वपूर्ण शोधपत्रों की संपादित पुस्तक 'राजस्थानी कहाणी' (परंपरा री दीठ अर आधुनिकता री ओल़खाण) भी महत्वपूर्ण है।

आचार्य के प्रयासों से अकादमी द्वारा 'इक्कीसवीं सइकै री राजस्थानी कहाणी' (कहानी संग्रह), 'इक्कीसवीं सइकै री राजस्थानी कविता', 'रेत सागै हेत', (कविता संग्रह), 'राजस्थानी बाल काव्य', 'राजस्थानी बाल कथा साहित्य' रेवतदान चारण की कविताओं का संचयन' और 'कन्हैयालाल सेठिया की कविताओं का संचयन' जैसी संग्रहणीय पुस्तकों का प्रकाशन हुआ है।

अनुवाद की बात करें तो आचार्य के कार्यकाल में साहित्य अकादमी की 24 भाषाओं में सबसे अधिक काम राजस्थानी में हुआ है। उनके नेतृत्व में पंजाबी विश्वविद्यालय, अमृतसर में महत्वपूर्ण अनुवाद कार्यशाला का आयोजन संभव हो पाया जिसके फलस्वरुप पंजाबी से राजस्थानी और राजस्थानी से पंजाबी अनुवाद के दो महत्वपूर्ण कहानी संग्रह तैयार हुए हैं। इसके अतिरिक्त अनेक नए युवा अनुवादकों द्वारा विभिन्न भाषाओं की अनेक महत्वपूर्ण कृतियों का राजस्थानी अनुवाद संभव हो सका है।

अकादमी द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कारों पर यदि चर्चा ना हो तो बात पूरी नहीं हो सकती। साहित्यकारों के एक धड़े द्वारा हमेशा इनकी आलोचना की जाती रही है। अकादमी पुरस्कारों के अपने मानदंड होते हैं लेकिन इतना तो स्वीकार करना ही पड़ेगा कि पूर्व में दिए गए पुरस्कारों की तुलना में मंडल द्वारा तुलनात्मक रूप से काफी हद तक पारदर्शिता बरती गई है। निर्णयन प्रक्रिया में राजस्थान भर के साहित्यकारों को सहभागी बनाया जाना इस बात का द्योतक है कि मंडल ने बेहतर करने का प्रयास किया।

समाहार स्वरूप यह कहा जा सकता है कि आचार्य की यह खेचल़ नयी टीम के लिए प्रेरणादायी होने के साथ-साथ चुनौती का काम भी करेगी। इसे लांघने के लिए नई कार्यकारिणी को भरपूर ऊर्जा के साथ बेहतर प्रदर्शन करना होगा।

- डॉ. हरिमोहन सारस्वत 'रूंख'

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