म्हारी जूण रै
सबदकोस सूं
गम रया है
चुपचाप
दिनोदिन
कई
घणा महताऊ सबद।
..म्हारै साम्ही
उभ्या हैं जुगां स्यूं
पसरयै मून मांय
आपरै गम्योड़ा सबदां नै
सोधता
काळीबंगां रा थेहड़।
कदास थेहड़ां री सरूआत
सबद गमण स्यूं ई तो नीं होवै?
No comments:
Post a Comment
आलेख पर आपकी प्रतिक्रियाओं का स्वागत है. यदि आलेख पसंद आया हो तो शेयर अवश्य करें ताकि और बेहतर प्रयास किए जा सकेंं.