Search This Blog

सबद अर थेहड़

म्हारी जूण रै
सबदकोस सूं
गम रया है
चुपचाप
दिनोदिन
कई
घणा महताऊ सबद।

..म्हारै साम्ही
उभ्या हैं जुगां स्यूं
पसरयै मून मांय
आपरै गम्योड़ा सबदां नै
सोधता
काळीबंगां रा थेहड़।

कदास थेहड़ां री सरूआत
सबद गमण स्यूं ई तो नीं होवै?

No comments:

Post a Comment

आलेख पर आपकी प्रतिक्रियाओं का स्वागत है. यदि आलेख पसंद आया हो तो शेयर अवश्य करें ताकि और बेहतर प्रयास किए जा सकेंं.

सुप्रसिद्ध रंगकर्मी और साहित्यकार मधु आचार्य के जन्मदिवस पर एक यादगार शाम का आयोजन

कभी तो आसमान से चांद उतरे ज़ाम हो जाए  तुम्हारा नाम की भी एक सुहानी शाम हो जाए.... सोमवार की शाम कुछ ऐसी ही यादगार रही. अवसर था जाने-माने रंग...

Popular Posts