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जिया-जूण


जिया-जूण हुवै
सिकती रोटी दांई
पिसीजै
गूंधीजै
बंटीजै
अर सिकै है
होळै-होळै.

सिकते-सिकते
बळ ई सके
कांई जेज लागै.

इण सारू
सावचेत हु’र
उथळता रया
बेगी सीक
जिया जूण सी
रोटी नै !




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