(संस्मरणात्मक आलेख)
कानदानजी कल्पित एक लोकचावै गीत में कैवै-
काचर, बोर, मतीर मेवा मिस्टान्न जठै
मुरधर म्हारो देस, झोरड़ो गांव जठै...
आ बात सोळा आना सांच है। मरूधर रा काचर, सूकेड़ा बेरिया, मतीरा, कैर, सांगरी, फोफळिया अर खेलर्यां मेवां सूं घाट कोनी। किणी रै जचै नंई तो काजू-बदाम मुलायां पछै सांगरी अर कैरिया मुला’र देखो दिखाण ! काजू किसमिस जे आठ सौ हजार रिपियां किलो मिलै तो चोखी सांगरी हजार सूं पैली कोई हाथ कोनी घालण देवै। बारीक कैरियां रो कैवणो ई कांई ! मॉल में पीसेड़ी काचरी मुलावो तो ठाह पड़ै सौ ग्राम रो डबियो पचास रिपियां रो है। भाव री तो छोडो, साची बात आ कै आज घड़ी आ मेवां री सोरम अर मिठास आखी दुनिया में जा पूगी है। म्हूं थार सूं तीन हजार किलोमीटर रै आंतरै बैठ्यो इण बात री पड़तख साख भर सकूं। कदास आं मेवां रै पाण ई राजस्थानी जीमण आखै जगत में सराइजै। काचरी री चटणी हो का सांगरी री सब्जी, बां रै सामीं एक’र तो काजू करी अर कड़ाही पनीर ई फीको लागै !
लारली दियाली रै पछै कॉलेज जावता बगत म्हूं आपरै एक भायलै साथै मदुरै री ट्रेन में हो, म्हारै सामली सीट पर एक दादी सा बैठ्या हा अर साथै बां रो पोतो। बूझîो तो ठाह लाग्यो, बै चेन्नई जासी। दादी सा घड़ी-घड़ी सीट रै हेठै रख्योड़ै आपरै समान नै संभाळै हा। अटेची अर बैग भेळै एक प्लास्टिक रो मोटो कटियो ई हो। भायलै दादी सा नै समान संभाळते देख’र पूछ्यो-
‘दादी सा, इण में कांई है ?’
‘काचरी अर फोफळिया है बेटा, अठै आवां जणां लेय जावां।’ दादी जी भायलै रो मूंडो जोवता थकां कैयो।
पछै तो सांगरी-कैरिया ई लाया होस्यो ?’ म्हूं मुळकतै सै बूझîो।
‘बै तो लावणा ई हा। आजकलै मिलै तो बठै ई है पण अठै जिस्यो स्वाद अर बरकत कोनी....।’ दादी सा कटियै रै खुलतै मूं नै सावळ जरू कर दियो।
इणी ढाळै एक’र दिल्ली एयरपोर्ट पर एक भाई साब मिलिया जिका लगेज चैकिंग आळी जिग्यां माथो मारै हा। बां अेक मोटै थेलियै में मरूधर रा सागी मेवा भर राख्या हा जिका भार में तो हळका हा पण बां रो थेलो खासा मोटो हो। बान्नै लगेज बिच्चाळै आपरी सांगरी, फोफळिया अर खेलरîां रै किचरीजणै रो डर हो, इण सारू बो थेलो आपरै सागै ले जावणो चावता। भागजोग सूं बां री सीट म्हारै सारै ई ही। प्लेन टेकऑफ रै पछै म्हूं जाणता थकां ई बां नै बूझîो-
‘भाईजी, बीं थेलै में के हो जिण सारू थे रिसाणा हो रैया हा ?’
बै म्हानै गौर सूं तकायो पण राजस्थानी बोलतां देख बां नै लखायो, छोरो है तो थळी रो। राजी होवता बोल्या-
‘मुरधर रा मेवा !’
पछै तो चेन्नई पूगणै तांई सूकेड़ा बोरिया, काचरी, सांगरी, कैर अर कूमठां री बातां चाल ई बोकरी। बां आपरै हैंडबैग सूं मतीरियै रै सेकेड़ै बीजां सूं भरी एक थेली काडी अर म्हारी मनवार करी। म्हानै लाग्यो जाणै म्हूं सांचाई ड्राई फ्रूट खा रैयो हूं। भाईजी बतायो कै अे मेवा आपणै गांव अर ढाण्यां सूं निसर’र फाइवस्टार होटलां रै मीनू में जा पूग्या है। आं मेवां री तासीर आ है कै आं में कोई पेस्टीसाइड का खाद रो प्रयोग नीं होवै, ओ धन तो थार री माटी में मतैई निपजै।
इयांई साल भर पैली चेन्नई में अंतर्राष्ट्रीय शतरंज टूर्नामेंट होयो तो म्हानै मेजबान भारतीय टीम में सामल होवण रो मौको मिल्यो। पंदरा दिनां रै इण उच्छब में दुनिया भर रा खिलाड़ी अर शतरंज रा रसिया पूग्या। इण इंटरनेशनल आयोजन में भारत सरकार भोत सांतरी व्यवस्था करी, ठैरणै सूं लेय’र जीमण तांई। जीमण रै हॉल में जद म्हूं काचरी री चटणी अर कैर सांगरी री सब्जी देखी तो म्हानै भोत गुमेज होयो। मेजबान होवण रै नातै म्हूं कई विदेसी खिलाड़ियां नै चटणी अर सांगरी रै साग बाबत बूझîो, तो बां सगळा उण नै भोत सराई। हंगरी री विस्व चैस चैम्पियन जुडिथ पोल्गर आपरी बंतळ में म्हानै बतायो, बुडापेस्ट में एक इंडियन रेस्टोरेंट है जठै लोग राजस्थानी काचरी री चटणी रा दीवाना है।
बां पंदरा दिनां में म्हूं चेन्नई रै लगैटगै सगळै फाइव स्टार होटलां में गयो जठै खिलाड़ी ठमेड़ा हा। बां होटलां रै मीनू में कैर-सांगरी अर बेसण गट्टा त्यार लाध्या। खास बात आ कै बठै काजू करी सूं मूंघी सब्जी कैर सांगरी ही।
जद कद तमिल भायलां रै पारिवारिक ब्यावां में जावण रो मौको मिलै तो बठै री पार्टी फंक्शन में नारेळ री भांत-भांत री चटण्यां, सांभर बड़ा, डोसा, रसम चावळ, परोटा भेळै और ई कांई ठाह कांई लाधै। पण बां रै बिच्चाळै जद सांगरी री सब्जी देखंू तो जी घणो राजी होवै। म्हूं बां नै बतावूं, अे म्हारै मुरधर रा मेवा है, ड्राई फ्रूट्स ऑफ राजस्थान !
आप सोचता होवोला, म्हूं कोई फूडी चैनल चलावूं जिण मांय देस-दुनिया रै स्वाद अर जीमण री बात होवै। पण इसी कोई बात कोनी। हां, म्हानै मरूधर रा मेवा अर मिनखां नै देख कन्हैयालाल जी सेठिया रो ओ दूहो घणी बार चेतै आ बो करै, कांई ठाह क्यूं ?
थे मुरूधर रा बाजस्यो बसो कठैई जाय
सैनाणी कोनी छिपै बिरथा करो उपाय।
सांतरो प्रेरक आलेख, जगत मांय परकत री दियोड़ी सगळी बस्त ई घणमूंघी अर अणमोली है, पण मरुधर रा मेवां री बात ई निरवाळी है।
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