( भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंधों पर डॉ. नंदकिशोर सोमानी का महत्वपूर्ण संकलन)
दक्षिण एशिया दुनिया का वह मोहल्ला है जिस पर रूस और अमेरिका ही नहीं, अपितु यूरोप के दिग्गजों की भी हमेशा नजर लगी रहती है. इसी मोहल्ले में सदियों से भारत का परिवार आबाद है जिसने जीवन के जाने कितने रंग देखते हुए अपने अस्तित्व को बचाए रखा है. यह दीगर बात है कि भारत के कई बेटे अपने अलग घर बसा कर अब उसके परिवार के 'शरीके' बन चुके हैं. और 'शरीका' यानी कुटुंब के लोग, कैसा व्यवहार करते हैं, इसका अनुभव कमोबेश हर सामाजिक प्राणी को होता है. देशों के संदर्भ में इन्हीं अनुभवों की पड़ताल को अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के विश्लेषण का नाम दिया जाता है. 'दक्षिण एशिया में भारत' शीर्षक से प्रकाशित पुस्तक भी इन्हीं मुद्दों पर प्रकाश डालती है.
अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ डॉ. नंदकिशोर सोमानी के संपादन में प्रकाशित यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है जो विश्व मानचित्र पर इस भूभाग की वर्तमान परिस्थितियों का सारगर्भित विश्लेषण करती है. इस कृति में अंतरराष्ट्रीय राजनीति के विशेषज्ञों द्वारा भारत के संदर्भ में लिखे गए आठ शानदार आलेख हैं. पड़ोसी मुल्कों से भारत के संबंधों की पड़ताल करते ये आलेख न सिर्फ शैक्षणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं बल्कि हिंद महासागर से हिमालय के बीच पसरे समूचे भारतीय उपमहाद्वीप को समझने के महत्वपूर्ण दस्तावेज बन पड़े हैं.
डॉ.अमित कुमार सिंह का भारत-पाक संबंधों पर लिखा गया 'अविश्वास और आशा की गाथा' एक बेहतरीन आलेख है जो भूटान के प्रधानमंत्री जिग्मी वाई. थिनले के संदेश से शुरू होता है. थिनले कहते हैं 'हर दक्षिण एशियाई जानता है कि घर में लड़ते झगड़ते रहने वाला कोई परिवार खुश नहीं रह सकता और झगड़ालू पड़ोसियों के रहते कोई समुदाय समृद्ध नहीं हो सकता.'
डॉ. दीपक कुमार पांडे अपने आलेख में भारत-बांग्लादेश संबंधों में गर्माहट तलाशते हैं तो वहीं विवेक ओझा भारत म्यांमार के समक्ष अवसर, चुनौतियों और समाधान पर बात करते हैं. डॉक्टर नीलम शर्मा अपने आलेख में भूटान के साथ भारत के संबंधों की विवेचना करती हैं और वैश्विक परिदृश्य में दोनों देशों की भूमिका पर प्रकाश डालती हैं.
भारत अफगानिस्तान के ताजा संबंधों पर बृजेश कुमार जोशी का लिखा आलेख इतिहास के पन्नों की परतें खोलता है. इसमें महाभारत कालीन गांधार जनपद और कभी अशोक के मगध साम्राज्य का हिस्सा रहे अफगानिस्तान की वर्तमान परिस्थितियों का बखूबी वर्णन किया गया है. पिछले दो दशक से भारत और नेपाल के रिश्ते कैसे हैं, इसे डॉ. राकेश कुमार मीणा के आलेख से जाना जा सकता है. लंबे समय तक तमिल और सिंहली संघर्ष से जूझता रहा श्रीलंका आज भारत के साथ कैसा व्यवहार रखना चाहता है इसकी पड़ताल डॉ. रितेश राय अपने आलेख में करते हैं.
संकलन के संपादक डॉ. सोमानी ने संपादन के साथ-साथ मालदीव के और भारत के रिश्ते पर एक सूक्ष्मावलोकन आलेख प्रस्तुत कर पुस्तक की महत्ता में इजाफा किया है.
सार रूप में कहा जा सकता है कि विकास प्रकाशन बीकानेर द्वारा प्रकाशित पुस्तक 'दक्षिण एशिया में भारत' अंतरराष्ट्रीय संबंध और राजनीति विज्ञान की दृष्टि से महत्वपूर्ण संकलन है. डॉ. सोमानी साहित्य सृजन और पत्रकारिता से निरंतर जुड़े रहे हैं, इसका प्रभाव उनके शैक्षणिक और शोधपरक लेखन में स्पष्ट रूप से झलकता है. संकलन में विषयों का चयन और उनका बेहतर प्रस्तुतीकरण पाठकों को बांधे रखता है. उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले दिनों में पाठकों को डॉ. सोमानी के संपादन में ऐसी कई कृतियों के रसास्वादन का आनंद मिलेगा.
- डॉ.हरिमोहन सारस्वत 'रूंख'
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