कासनिया के दो वर्षीय कार्यकाल का आॅनलाइन आॅपिनियन पोल
पोल के अनुसार 18.1 प्रतिशत लोगों ने उनके कार्यकाल को बेहतर बताया है और 13.1 प्रतिशत औसत बता रहे हैं. इस पोल में 47 प्रतिशत से अधिक लोगों ने बेहद खराब का विकल्प चुना है. हालांकि जनमत के अनुसार विधायक का कार्यकाल ठीक नहीं रहा है लेकिन हमें यह याद रखना होगा कि वे सरकार के विपक्षी दल भाजपा के विधायक हैं और उनके कार्यकाल का एक साल कोरोना ने हड़प लिया है. जनता अपनी राय व्यक्त करती है तो उससे सबक लेने की जरूरत होती है. कासनिया के पास अभी भी पर्याप्त समय है जिसमें वे जनता की आकांक्षाओं पर खरा उतर सकते हैं. शहरी निकाय में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उन्हें मुखरता से बोलना होगा और इलाके की जनता के बीच पहुंचकर उनके सुख-दुःख मे साथ खड़ा होना ही होगा. आज भी शहरी क्षेत्र में भ्रष्टाचार और अतिक्रमण की समस्याएं जस की तस है. देहात में प्रदेश सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है. राज्य सरकार के बजट में भी इलाके के लिए कोई विशेष आवंटन नजर नहीं आता. विद्युत बिलों के बढ़ते बोझ तले दबा आमजन सत्ता और विपक्ष दोनों को कोस रहा है.
जनमत की राय है कि सिर्फ विपक्षी दल का विधायक होने की कह देने से काम नहीं चलने वाला. विधायक तो विधायक होता है.
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