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Monday, 8 June 2020

विद्युत बिलों में राहत दे सरकार

(जनहित का मुद्दा)

भारतीय किसान सभा ने विद्युत बिलों में राहत देने का गंभीर मुद्दा उठाकर प्रदेश की जनता का ध्यान आकृष्ट किया है. सभा के कार्यकर्ताओं द्वारा प्रदेश भर में धरना प्रदर्शन आयोजित किए गए हैं और घरेलू व कृषि विद्युत बिलों को माफ किए जाने की मांग को लेकर सरकार को ज्ञापन सौंपे गए हैं. प्रत्यक्ष रूप से आम आदमी को प्रभावित करने वाला यह गंभीर मुद्दा कोरोना संकटकाल में राहत पहुंचाने की दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है लेकिन विडंबना यह है कि जनहित के इस मुद्दे पर सत्ता और विपक्ष के नेताओं की जुबान पर ताले पड़े हुए हैं. प्रदेश से लेकर स्थानीय स्तर तक कांग्रेस और भाजपा के किसी भी जनप्रतिनिधि या अन्य नेताओं ने बिजली के बिलों ने राहत देने की मांग नहीं उठाई है. नेताओं का यह दोहरा चरित्र जनता की नजरों से छिपा हुआ नहीं है.

कोरोना संकट में आम आदमी पर विद्युत बिलों के रूप में दोहरी मार पड़ी है. एक ओर जहां लॉक डाउन के चलते ढाई माह से लोग घरों में बंद थे वहीं दूसरी ओर दुकानदारी और काम धंधे चौपट होने के कारण रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में निम्न और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए तो बिजली का बिल भरना गंभीर समस्या बन गया है. हालांकि सरकार ने इन बिलों की भुगतान की समयावधि बढ़ाने की घोषणा की है लेकिन संकट की गंभीरता को देखते हुए यह राहत कुछ भी नहीं है. ढाई माह से घर बैठे लोगों के पास राशन लाने के पैसे नहीं है ऐसे में विद्युत बिलों का भुगतान कैसे करें ? ऊपर से सरकार ने 31मई के बाद होने वाले बिलों के भुगतान पर 2% अधिभार लगाने की घोषणा कर इस संकट को और बढ़ा दिया है.

प्रदेश में आम आदमी की खस्ता हालत को देखते हुए कांग्रेस सरकार का यह नैतिक दायित्व है कि इन परिस्थितियों में वह यथासंभव जनता की मदद करे. लॉकडाउन अवधि के घरेलू विद्युत बिलों को यदि माफ किया जाता है तो यह सरकार कि बहुत बड़ा कदम होगा जिससे समाज के हर वर्ग को बिना किसी भेदभाव के राहत मिल सकेगी.

यहां उल्लेखनीय है कि कोरोना संकटकाल में प्रदेश सरकार द्वारा निम्नवर्ग के लिए तो अनेक प्रकार की राहत उपलब्ध करवाई गई हैं वहीं मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए किसी प्रकार की सरकारी मदद नहीं है. उन्हें कोरोना संकट की घड़ी में जूझने के लिए खुद के हाल पर इस ढंग से छोड़ दिया गया है मानो कि वे करोड़पति हों. जबकि वास्तविकता यह है कि इन परिवारों में निरंतर बढ़ रही आर्थिक परेशानियों के चलते अवसाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है. ऐसी स्थिति मे संकट से जूझते इन परिवारों को यदि विद्युत बिलों में राहत मिले तो वह संजीवनी के समान होगा. कमोबेश यही हालत प्रदेश के किसान की है. उसके कृषि कनेक्शनों के बिलों में भी राहत दिया जाना बेहद जरूरी है.

इससे पहले की लोग इस मांग को लेकर सड़कों पर उतरें, सरकार को गंभीरता दिखाते हुए इस मामले पर तुरंत जनकल्याणकारी निर्णय लेना चाहिए.

डॉ.हरिमोहन सारस्वत 'रूंख'

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