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Saturday, 12 July 2025

हथाई सूं चैटिंग


(लोक री आर्ट ऑफ लिविंग)

रूंख भायला चौक. चौक माथै पाटो. पाटै पर हथाई. छड़छड़ीली सी चैटिंग आ ढुकी. इण बतरस रो आनंद पाठकां सारू-

चैटिंग: ‘कियां हो ?’

हथाई: ‘कियां होवणो हो’

चैटिंग: ‘म्हंू तो बूझ्यो ई है।’

हथाई: ‘तो म्हूं उथळो दियो ई है‘

चैटिंग: ‘कदे तो सावळ बोल्या करो !’

हथाई: ‘थूं ई कदे सावळ बूझ्या कर’

चैटिंग: ‘हालचाल बूझणो कांई कावळ है के ?’

हथाई: ‘सो क्यूं जाणता थकां बूझणै में कांई स्याणप’

चैटिंग: ‘चलो छोड़ो, लीव इट, कांई चल्लै ?’

हथाई: ‘गोडा नै छोड सो कीं चल्लैै’

चैटिंग: ‘ऊं हूं........म्हारो मतलब है, अबार आप कांई कर रैया हो ?’

हथाई: ‘ग्यास बाढां’

चैटिंग: ‘म्है ग्वार तो सुण्यो है, आ ‘ग्यास’ कांई होवै?’

हथाई: ‘इत्ती ताळ सूं थूं जिकी म्हां साथै बाढै’

चैटिंग: ‘पण बाढण सारू तो चक्कू का तलवार चाइजै, बै कठै ?’

हथाई: ‘मूंडै में लपलपावै’

चैटिंग: ‘नां ओ, लाई जीभ रो कांई दोस ?’ 

हथाई: ‘जीभड़ल्यां इमरत बसै, जीभड़ल्यां विस होय, 

       कागा किण रो धन हरै, कोयल किण नै देय’

चैटिंग: ‘आ जबरी ठरकाई है थे !’

हथाई: ‘ठरकाइजै तो मांचै री ईस का पछै पागो, बात तो सरकाइजै है’

चैटिंग: ‘कीं दो-चार और सरकावो नीं’ 

हथाई: ‘रैवण दे, सरकायां थारै चौसरा चाल जासी’

चैटिंग: ‘ओ हो, म्हूं बियां सरकावण री बात नीं करी।’

हथाई: ‘पण म्हूं तो बियां ई करी’

चैटिंग: ‘थे रिसाणा बेगा हो जावो’

हथाई: ‘थूं घोचो करै ई क्यूं’

चैटिंग: ‘म्हूं तो बात कर रैयी हूं’

हथाई: ‘बात स्यार थूं जाणै ई कोनी’

चैटिंग: ‘बात पछै और किसी’क होवै ?’

हथाई: ‘बात में तत होवणो चाइजै, सार होवणो चाइजै’

चैटिंग: ‘बो कियां आवै ?’

हथाई: ‘पटीड़ खायां’

चैटिंग: ‘थे सदांई कूटीजणै कुटाणै री बात क्यूं करो ?’

हथाई: ‘मिनख अर अदरक कुटीज्यां ई झरै’

चैटिंग: ‘तो पछै कूट खाणी सरू करां’

हथाई: ‘करो, कुण पालै है !’

चैटिंग: ‘म्हारी बातां में तत तो आ जिसी के ?’

हथाई: ‘थारो तो आयोड़ो ई पड़्यो है’

चैटिंग: ‘बो कियां ?’

हथाई: ‘थूं फगत कूड़ अर धूड़ रो ब्योपार करै’

चैटिंग: ‘कांई मतलब ? म्हूं कूड़ बोलूं ?’

हथाई: ‘थारै हियै नै बूझ....थूं बोलै कठैई लाधै कठैई, कैवै की,ं करै कीं’

चैटिंग: ‘इयां थोड़ो घणो तो कैवणो ई पड़ै’

हथाई: ‘कोई अड़ी है के’

चैटिंग: ‘समचो सांच बोल्यां लोग रिसाणा हो जावै’

हथाई: ‘पछै थारो नांव ‘लपोसियो’ राख लै’

चैटिंग: ‘हं...हं...आ म्हानै गाळ है’

हथाई: ‘अं....है....थारी दाळ में बाळ है’

चैटिंग: ‘थे सावळ बताओ, बात में वजन कियां ल्यावां’

हथाई: ‘बात गोडां को घड़ीजै नीं, मोढां ढोवणी पड़ै’

चैटिंग: ‘ढो लेस्यां, कदास पार पड़ै ई तो....!’

हथाई: ‘पैली कूड़ छोड़नो पड़सी’

चैटिंग: ‘बो कोनी छूटै’

हथाई: ‘पछै अड़ी कांई है, बगाओ जित्ती बगाइजै’

चैटिंग: ‘लोगां लपेटणी बंद करदी’

हथाई: ‘लटाई भरीजगी व्हैला, दूजा सोधो, कमी कठै’

चैटिंग: ‘सोधण ई तो आयी....’

हथाई: ‘झोटै आळै घरै लस्सी कोनी लाधै लाडी’

चैटिंग: ‘हीं...हीं...माड़ी होयी आ तो....’

हथाई: ‘हथाई सामीं तो पोत उघड़्यां ई सरै’। 

-रूंख भायला


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