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Tuesday 18 July 2023

पृथ्वी मील बदल सकते हैं सूरतगढ़ के समीकरण

- जेजेपी और भाजपा के राष्ट्रीय गठबंधन से उड़ी स्थानीय भाजपा नेताओं की नींद


- व्यक्तिगत लोकप्रियता के मामले में सबसे आगे हैं पृथ्वी मील


कहावत है, कभी-कभी चींटी भी हाथी पर भारी पड़ जाती है और देखते ही देखते संभावित परिणाम बदल जाते हैं. जननायक जनता पार्टी के प्रवेश के बाद सूरतगढ़ की राजनीति में भी यदि ऐसा कुछ हो जाए तो ज्यादा आश्चर्य नहीं होना चाहिए. राजनीति में छोटे क्षेत्रीय दलों के अस्तित्व को आप भले ही हवा में उड़ाने की कोशिश करें लेकिन हकीकत यह है कि भारतीय राजनीति में इन दलों का महत्व निरंतर बढ़ रहा है. बंगाल और दक्षिण की राजनीति तो क्षेत्रीय दल ही तय करते रहे हैं. पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब में भी शिरोमणि अकाली दल और जेजेपी का अपना वोट बैंक है जो सत्ता को प्रभावित करता है.

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जिस हिसाब से छोटे क्षेत्रीय दलों को 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर रणनीति तैयार करने के लिए आमंत्रित किया है उससे यह स्पष्ट है कि भारतीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों का महत्व कम नहीं आंका जा सकता. विपक्ष तो अधिकांशत: क्षेत्रीय दलों का ही गठजोड़ हैं. भारत की विविधता को देखते हुए क्षेत्रीय दलों के यह गठजोड़ समय की आवश्यकता कहे जा सकते हैं.

सूरतगढ़ की राजनीति में जननायक जनता पार्टी ने पूर्व जिला प्रमुख पृथ्वी मील का नाम उछाल कर सभी संभावित प्रत्याशियों के खलबली मचा दी है. पार्टी ने उन्हें न सिर्फ प्रदेशाध्यक्ष घोषित किया है बल्कि उनके समर्थन में 24 जुलाई को पुरानी धान मंडी में किसान महापंचायत भी आयोजित कर रही है. इस सभा में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय सिंह चौटाला और हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला समेत कई दिग्गज नेताओं के आने की उम्मीद है. संभावनाएं जताई जा रही है कि जेजेपी और पृथ्वी मील का यह शक्ति प्रदर्शन सूरतगढ़ के समीकरण बदल सकता है.


सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र में यदि किसी विधायक की व्यक्तिगत लोकप्रियता की बात करें तो विजयलक्ष्मी विश्नोई का नाम सबसे ऊपर आता है. उनके बाद जितने भी विधायक बने उन सबकी लोकप्रियता एक वर्ग विशेष तक सीमित रही, कभी भी वे साधारण जनमानस में अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाए. यही कारण है कि पार्टियां उन पर अगले चुनाव में दांव लगाने से बचती रही. जहां तक पृथ्वी मील की बात है, उन्हें भले ही विधायक बनने का मौका ना मिला हो लेकिन उनकी लोकप्रियता दूसरे प्रत्याशियों के मुकाबले कहीं बेहतर है. जिला प्रमुख के रूप में उनका कार्यकाल आज भी लोग याद करते हैं. बच्चे हों या बड़े बूढ़े, स्त्री हो या पुरूष, नौजवानों से लेकर सभी आयु वर्गों और जातियों में उनकी बराबर पैठ है. उनकी मिलनसारिता और व्यवहार कुशलता सबको प्रभावित करती है. सबसे बड़ी बात आमजन की सहानुभूति उनके प्रति हमेशा रही है जिसका सीधा फायदा उन्हें मिल सकता है. उनकी ग्रामीण जन सभाओं में उमड़ रही भीड़ यही संकेत देती है.

राजनीति में किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. सभी राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि नरेंद्र मोदी 2024 के चुनाव में अपनी पार्टी को जीतने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. लोकसभा चुनाव से पूर्व होने वाले बड़े राज्यों के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी क्षेत्रीय दलों से गठजोड़ की कोई संभावना नहीं छोड़ना चाहती. फिर जेजेपी के साथ तो हरियाणा में उनका पुराना गठबंधन है, लिहाजा राजस्थान चुनाव में समझौते के तौर पर भाजपा यदि दो तीन सीटें छोड़ भी दे तो बदले में उन्हें लोकसभा चुनाव में फायदा मिल सकता है. जेजेपी के लिहाज से सूरतगढ़ सीट सर्वाधिक उपयुक्त भी है जहां कांग्रेस और भाजपा दोनों को साधना अधिक आसान है. यहां कांग्रेस में कमजोर संगठनात्मक ढांचे के चलते नगरपालिका मंडल भी उनके हाथ से निकल चुका है वहीं भाजपा में एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति है. ऐसी स्थिति में पृथ्वी मील जेजेपी के लिए एक उपयुक्त प्रत्याशी हैं जो राजस्थान विधानसभा में उनका खाता खोल सकते हैं.

चुनाव परिणाम चाहे कुछ भी रहे लेकिन इतना तय है कि पृथ्वी मील की उपस्थिति ने सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र के समीकरण बदल दिए हैं.

-डॉ.हरिमोहन सारस्वत

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