(सूरतगढ़ जिला बनाओ संघर्ष)
कल अपेक्स मीटिंग हॉल में जिला बनाओ संघर्ष समिति की स्टेयरिंग कमेटी की बैठक में प्रेस क्लब की ओर से सूरतगढ़ के सभी नेताओं को मर्यादित ढंग से समझाने की कोशिश की थी. उस चेतना का असर यह हुआ कि शाम होते होते आंदोलन का स्वरूप बदल गया. कुछ युवा और जुझारू लोग पुराने हाउसिंग बोर्ड की टंकी पर जा चढ़े और सूरतगढ़ को जिला बनाने की मांग का नारा बुलंद किया.
प्रशासन और पुलिस इस घटनाक्रम से एक बार तो सकते में आ गए. आनन-फानन में फायर ब्रिगेड की गाड़ी, एंबुलेंस, नागरिक सुरक्षा के सेवा कर्मी, पुलिस जाब्ता सभी चुस्त-दुरुस्त होकर घटनास्थल पर पहुंच गए. टंकी पर छात्र नेता रामू छिंपा, टिब्बा क्षेत्र के जुझारू नौजवान राकेश बिश्नोई, शक्ति सिंह भाटी, सुमित चौधरी अशोक कड़वासरा, अजय सारण, कमल रेगर 100 फुट ऊंची टंकी पर चढे नारे बुलंद कर रहे थे. इन युवाओं के इस कदम ने आंदोलन को एक नया रूप दिया है.
देखते ही देखते वार्ड नंबर 25-26 सूरतगढ़ जिला बनाओ आंदोलन का एक नया केंद्र बन गया जहां भीड़ जुटने लगी. वार्ड के लोगों ने आंदोलनकारियों के लिए चाय नाश्ते की व्यवस्था की. रात को इंद्र भगवान ने भी अपने रंग दिखाए, तेज बारिश के साथ सर्द हवाएं भी चली लेकिन नौजवानों ने सूरतगढ़ को जिला बनाने के आंदोलन में गर्मी ला दी है.
इस आंदोलन में अब 4 केंद्र बन चुके हैं. बीकानेर पीबीएम अस्पताल में पूजा छाबड़ा लगातार आमरण अनशन पर है. सूरतगढ़ के ट्रॉमा सेंटर में जुझारू उमेश मुद्गल की भूख हड़ताल दसवे दिन पहुंच गई है. प्रताप चौक पर संघर्षशील नेता बलराम वर्मा ने कमाल संभाल रखी है. चौथा और मजबूत केंद्र नौजवानों ने बना दिया है. युवाओं की इच्छा शक्ति को देखते हुए लगता है कि आंदोलन का यह केंद्र आने वाले दिनों में और मजबूत होगा.
देखना यह है कि सूरतगढ़ में विधायक बनने का सपना देख रहे दूसरे नेता और अन्य जनप्रतिनिधि इस आंदोलन में अपनी कैसी भागीदारी निभाते हैं. इस यज्ञ में सभी जागरूक लोगों को अपना योगदान देने की जरूरत है. चुनावी साल में कांग्रेस सरकार जन भावनाओं को कितना महत्व देती है उनका यह निर्णय आगामी सरकार बनाने में होगा. अशोक गहलोत लोकप्रिय और जन नेता के रूप में जाने जाते हैं, उन्हें सूरतगढ़ के मामले में संवेदनशील होकर निर्णय लेना चाहिए.
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